ह्यूमन राइट्स वॉच की रिपोर्ट में भारत पर गंभीर आरोप, कहा- मोदी सरकार में अल्पसंख्यकों के साथ भेदभाव, वैश्विक नेतृत्व की दावेदारी को झटका
ह्यूमन राइट्स वॉच ने अपनी रिपोर्ट में भारत सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं. रिपोर्ट में दावा किया गया है कि मोदी सरकार अल्पसंख्यकों के साथ भेदभाव कर रही है.
Human Rights Watch Report: ह्यूमन राइट्स वॉच ने 'वर्ल्ड रिपोर्ट 2024' में भारत सरकार पर कई तीखे आरोप लगाए हैं. रिपोर्ट में सरकार पर मजहबी अल्पसंख्यकों की अनदेखी का आरोप लगाया गया है. ह्यूमन राइट्स वॉच मानवाधिकार को लेकर दुनिया के करीब 100 देशों पर अपनी सालाना रिपोर्ट प्रकाशित करता है. इसमें मानवाधिकार और इससे जुड़ी तमाम पहलूओं पर अपनी रिपोर्ट पेश करता है.
ह्यूमन राइट्स वॉच ने लिखा है कि भारत वैश्विक नेतृत्व का दंभ भरता है, लेकिन लोकतंत्र वाले देश में अधिकारों के सम्मान को लेकर भारत सरकार का रवैया कमजोर रहा है.
भारत को लेकर किस मामले में रिपोर्ट?
वर्ल्ड रिपोर्ट 2024 में लिखा है कि भारत में पिछले साल (2023) में मानवाधिकारों को दबाया गया है और लोगों के साथ उत्पीड़न की कई घटनाएं सामने आई हैं. रिपोर्ट में मणिपुर हिंसा, जम्मू कश्मीर का हालिया माहौल और जंतर मंतर पर महिला पहलवानों के विरोध को जगह दी गई है. इसके अलावा 740 पन्नों की रिपोर्ट में बीबीसी के दफ्तर में पड़े छापे, नूंह हिंसा की चर्चा की गई है. ह्यूमन राइट्स वॉच ने अपनी रिपोर्ट में भारत सरकार को बीजेपी की सरकार के बजाय हिंदूवादी सरकार लिखा है.
कश्मीर पर क्या लिखा?
भारत में मानवाधिकार के रिपोर्ट में जम्मू कश्मीर में कथित तौर आए दिन लोगों की मौत की खबरों की बात कही गई है. इसके अलावा रिपोर्ट में जिक्र किया गया है कि वहां लोगों को अपनी बात कहने की आजादी नहीं है. वे कथित तौर पर विरोध नहीं कर सकते हैं. इसके साथ सेना पर कथित एक्ट्रा ज्यूडिशियल मौत को लेकर भी दावे किए गए हैं.
'मुसलमानों को सुरक्षा देने में विफल रही मोदी सरकार'
वर्ल्ड रिपोर्ट 2024 में कहा गया कि भारत की मोदी सरकार मुसलमानों के अधिकारों की रक्षा करने में विफल रही है, इसके अलावा सरकार मुसलमानों को सुरक्षा देने में नाकामयाब रही है. हालांकि भारत सरकार की ओर से अब तक इस रिपोर्ट पर कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन अतीत में भारत सरकार ने रिपोर्ट को बेबुनियाद बताया है.