यांगून: म्यामांर में तख्तापलट के बाद अब राजनीति से जुड़े लोगों को नजरबंद किया जा रहा है. यहां सत्ता पर सेना के कब्जा करने के एक दिन बाद मंगलवार को संसद के सैकड़ों सदस्यों को उनके सरकारी आवास में नजरबंद कर दिया और उसके बाहर सैनिक तैनात कर दिए गए.


वहीं, देश की लोकतंत्र समर्थक नेता आंग सान सू ची सहित वरिष्ठ नेताओं को हिरासत में ले लिया गया है. नजरबंद किए गए एक सांसद ने कहा कि उन्होंने और 400 अन्य सांसदों ने रात जाग कर काटी. सांसद ने कहा, ‘‘हमें सतर्क और जागते रहना पड़ा.’’ उन्होंने बताया कि उस परिसर के अंदर पुलिस और बाहर सैनिक थे, जहां सू ची की पार्टी के सदस्यों और अन्य छोटे दलों के नेताओं को रखा गया है.


बता दें कि म्यामांर में सेना ने सोमवार को तख्तापलट कर दिया और शीर्ष नेता आंग सान सू ची समेत उनकी पार्टी के कई शीर्ष नेताओं को हिरासत में ले लिया. सेना के स्वामित्व वाले ‘मयावाडी टीवी’ ने सोमवार सुबह घोषणा की कि सेना ने एक साल के लिए देश का नियंत्रण अपने हाथ में ले लिया है.


म्यांमार की घटना का भारत पर क्या असर


म्यांमार में सेना और सरकार के बीच टकराव के बाद जो कुछ हुआ है उसे नई दिल्ली के लिए ठीक नहीं कहा जा सकता है. उसकी वजह ये है कि म्यांमार की ना सिर्फ सीमा भारत से जुड़ी हुई है बल्कि चीन से भी सटी हुई है. ऐसे में म्यांमार में होने वाली गतिविधियों का असर भारत-चीन पर होना स्वभाविक है.


भारत कुछ मौकों पर म्यांमार के अंदर घुसकर इनके खिलाफ सैन्य कार्रवाई की है. नॉर्थ ईस्ट के कई अलगाववादी और उग्रवादी संगठन म्यांमार की जमीन से ही भारत विरोधी गतिविधियों को संचालित करते हैं. ऐसी स्थिति में रक्षा जानकारों की मानें तो म्यांमार में ऐसी स्थिति बनने से भारत के लिए मुश्किलें आने वाले दिनों में खड़ी हो सकती है.


इसे भी पढ़ेंः
चीन-कनाडा के रिश्तों में अब ‘टी-शर्ट’ बनी तनाव का कारण, जानें क्या है मामला?


कोरोना की उत्पत्ति का पता लगाने को WHO टीम ने वुहान में पशु रोग केंद्र का किया दौरा