यूक्रेन पर रूस के हमले के बीच ताइवान ने कहा कि लोकतांत्रिक देशों को सैन्य हमले को लेकर आंखें नहीं मूंद लेनी चाहिए. ताइवान की एक नेता ने चेतावनी देते हुए कहा कि उनके देश को भी वही खतरे हैं, जो यूक्रेन के सामने थे. ताइवान की नेता ने पूर्व अमेरिकी सुरक्षा अधिकारियों के प्रतिनिधिमंडल के साथ बैठक में यह बात कही.


इस प्रतिनिधिमंडल की अगुआई जॉइंट चीफ ऑफ स्टाफ के पूर्व अध्यक्ष और रिटायर्ड एडमिरल माइकल मुलेन कर रहे थे. यह प्रतिनिधिमंडल ऐसे समय पर ताइवान पहुंचा, जब अमेरिका और चीन ताइवान को लेकर आमने-सामने हैं और रूस के यूक्रेन पर हमले को लेकर भी दुनिया में संकट गहरा रहा है. 


ताइवान की यूक्रेन की स्थिति पर गहरी नजर है. वह लगातार चीन के हमले को लेकर आशंकित है. चीन ताइवान पर अपना हक जताता है और कहता है कि वह एक दिन उस पर कब्जा कर लेगा चाहे इसके लिए बल का इस्तेमाल करना पड़े.


ताइवान की नेता साई इंग-वेन ने प्रतिनिधिमंडल को बताया, 'इतिहास हमें बताता है कि अगर हम सैन्य हमले को लेकर आंखें मूंदकर बैठे रहें तो इससे हम खुद के लिए ही खतरे को और बढ़ा देंगे.'


उन्होंने कहा, 'यूक्रेन के नागरिक अपनी आजादी और लोकतंत्र को बचाने के लिए प्रतिबद्ध हैं और उनका निडर होकर अपने देश की रक्षा करने के प्रति ताइवान के लोगों की भी सहानुभूति है क्योंकि हम भी लोकतंत्र की लड़ाई के मोर्चे पर खड़े हैं.'


उन्होंने ताइवान और क्षेत्र के प्रति चीन के सैन्य खतरे को लेकर भी चेताया और कहा कि  चीन ताइवानी समाज को विभाजित करने के लिए संज्ञानात्मक युद्ध रणनीति और दुष्प्रचार का उपयोग कर रहा है. ताइवान के एयरस्पेस में कई बार चीनी विमान देखे गए हैं. एएफपी के डेटाबेस के अनुसार, पिछले साल ताइवान ने चीन की 969 ऐसी घुसपैठ दर्ज की थी. जबकि साल 2020 में यह लगभग 380 था. 


यूक्रेन पर मास्को के आक्रमण से कुछ ही हफ्ते पहले, चीन और रूस ने एक संयुक्त बयान पर हस्ताक्षर किए थे, जिसमें कई विदेश नीति के लक्ष्यों पर सहमति जताई गई थी. इसमें ताइवान को चीन का अविभाजित हिस्सा बताया गया था.


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