IMEEC सदी का सबसे बड़ा प्रोजेक्ट, चीन के BRI का क्या होगा? फ्रांस ने जो कहा आप भी पढ़ें
IMEEC vs BRI Project: इंडिया मिडिल ईस्ट यूरोप इकोनॉमिक कॉरिडोर यानी IMEEC के एक छोर पर भारत तो दूसरी छोर पर फ्रांस है. ऐसे में इस प्रोजेक्ट को सदी का सबसे बड़ा प्रोजेक्ट कहा जा रहा है.
IMEEC vs BRI Project: चीन BRI (बॉर्डर रोड इनेशिएटिव) के जरिए दुनिया के छोटे देशों को जहां कर्ज के जाल में फंसाने का काम कर रहा है. वहीं भारत मिडिल ईस्ट और फ्रांस के सहयोग से IMEEC प्रोजेक्ट पर तेजी से काम कर रहा है. इस प्रोजेक्ट के एक छोर पर भारत तो दूसरी छोर पर फ्रांस है, बीच में मिडिल ईस्ट के देश हैं. इसी वजह से इस प्रोजेक्ट का नाम इंडिया मिडिल ईस्ट यूरोप इकोनॉमिक कॉरिडोर रखा गया है. भारत के एक टीवी चैनल से खास बातचीत में फ्रांस की इमैनुएल मैक्रों सरकार में IMEEC प्रोजेक्ट के चीफ जेरार्ड मेस्ट्रालेट ने इसे सदी का सबसे बड़ा प्रोजेक्ट कहा है.
जेरार्ड मेस्ट्रालेट ने IMEEC को 21वीं सदी का सबसे अहम प्रोजेक्ट बताया है. उन्होंने कहा कि इस प्रोजेक्ट के पूरा होने के बाद भारत ईस्ट और वेस्ट के बीच पुल की तरह काम करेगा. जरार्ड ने IMEEC को एक प्रमुख बुनियादी ढांचा कहा है. उन्होंने कहा कि यह प्रोजेक्ट यूरोपीय यूनियन के लिए ग्लोबल गेटवे की तरह है. जेरार्ड ने जोर देकर कहा कि यह प्रोजेक्ट रणनीतिक परियोजना बनने के साथ ही सभी मानदंडों को कवर कर रही है.
IMEEC प्रोजेक्ट में भारत और फ्रांस महत्वपूर्ण
दरअसल, पिछले साल भारत में हुए जी20 अधिवेशन के दौरान IMEEC को लेकर भारत सहित मिडिल ईस्ट और यूरोपीय देश राजी हुए थे. हालांकि अभी तक यह प्रोजेक्ट अपने शुरुआती चरणों में है. इस प्रोजेक्ट के व्यवहारिकता पर जांच की जा रही है. फ्रांस के राजदूत ने कहा कि इस प्रोजेक्ट के लिए 'भारत का मुंद्रा और फ्रांस का मार्सिले बंदरगाह दो छोर हैं. इसलिए फ्रांस और भारत इस परियोजना में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं. सिर्फ इसलिए नहीं कि भारत और फ्रांस इस परियोजा के दोनों छोर पर हैं, बल्कि इसलिए भी क्योंकि भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों इस परियोजना के मूल में हैं.'
दुनिया को चाहिये BRI या IMEEC
फ्रांस के राजदूत ने कहा कि IMEEC प्रोजेक्ट के लिए सभी देशों ने राजदूत नियुक्त किए हैं. ऐसे में हमें पता है कि किससे मुझको बात करनी है. यह प्रोजेक्ट अभी शुरुआती स्तर पर है. मार्केट अब तय करेगा कि उन्हें चीन का बीआरआई चाहिए या IMEEC. यह एक बहुत मजबूत जियो पॉलिटिकल परियोजना है. इस प्रोजेक्ट के जरिए दुनिया की एनर्जी और हाइड्रोजन इलेक्ट्रिसिटी जैसी महत्वपूर्ण जरूरतों को पूरा किया जा सकता है.