Pakistan Political Crisis: पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान (Imran Khan) की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं. इस बार पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (PTI) पार्टी के 35 और सांसदों के इस्तीफे अध्यक्ष ने स्वीकार कर लिए हैं. इसके बाद अब संसद में उनकी सदस्यता अब समाप्त हो गई है. इससे पहले पीटीआई के 123 सांसदों ने पिछले साल अप्रैल में इमरान खान को विश्वास मत के माध्यम से प्रधानमंत्री पद से हटाए जाने के तुरंत बाद इस्तीफा देने का फैसला किया था. 


पीटीआई के वरिष्ठ नेता असद कैसर ने बताया कि पार्टी के सांसद अपने इस्तीफे सौंपने और सत्यापित करने के लिए अध्यक्ष से व्यक्तिगत रूप से मिलना चाहते थे लेकिन उन्हें मौका नहीं दिया गया. उन्होंने इसे अनैतिक और अवैध बताया है. इमरान के सत्ता से हटने के बाद ही शहबाज को देश की कमान मिली थी. हाल ही में इमरान ने बयान दिया था कि शहबाज को विश्वास मत में अपना इम्तिहान देना होगा. वहीं, पार्टी का कहना है कि यह कदम सिर्फ चुनाव टालने का एक तरीका है. 


स्पीकर अशरफ ने दी सफाई 


नेशनल असेंबली के स्पीकर राजा परवेज अशरफ ने अपने फैसले का बचाव किया है. उनका कहना है कि पीटीआई के सांसदों ने उन्हें बताया कि इस्तीफा उनका खुद का स्वेच्छा से लिया गया फैसला था. उन्होंने किसी दबाव में इस्तीफा नहीं दिया है. उन्होंने बताया कि पिछले साल जुलाई में 11 अन्य इस्तीफे स्वीकार किए जाने के बाद अब तक कुल 81 सांसदों ने सदस्यता खो दी है. इससे पहले मंगलवार को 34 सदस्यों के इस्तीफे स्वीकार किए गए थे. 


शहबाज ने साबित किया विश्वास 


शहबाज की गठबंधन सरकार के सदस्य मुत्ताहिदा कौमी मूवमेंट पाकिस्तान (एमक्यूएम-पी) ने पद छोड़ने की धमकी दी थी. इसके बाद इमरान खान ने कहा था कि शहबाज को भी अपनी काबिलियत साबित करनी होगी. इमरान के मुताबिक पंजाब में गठबंधन सरकार ने बहादुरी से विश्वास मत का सामना किया और सरकार को बचा लिया.


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