पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान के खिलाफ विपक्ष के अविश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग से पहले राजनीति में भूचाल आ गया है. पाकिस्तान की राजनीति में तब हलचल मच गई, जब सरकार के एक शीर्ष मंत्री ने इस्लामाबाद के सिंध हाउस में पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) पर सांसदों की खरीद-फरोख्त का आरोप लगाया. उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि विपक्ष ने सत्ताधारी पार्टी के कुछ सांसदों को अपने कब्जे में ले लिया है. इमरान सरकार ने विपक्ष के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने का भी प्लान बना लिया है.
प्रधानमंत्री इमरान खान की अध्यक्षता में पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी की एक बैठक हुई, जिसमें सिंध प्रांत में पीपीपी सरकार द्वारा नियंत्रित सांसदों और सिंध हाउस की सख्ती से निगरानी करने का निर्णय लिया गया, ताकि "यह सुनिश्चित किया जा सके कि कोई सांसद हॉर्स-ट्रेडिंग का शिकार न हो जाए. विपक्षी पीपीपी ने गुरुवार को आरोप लगाया कि पीटीआई के नेतृत्व वाली सरकार संघीय राजधानी में सिंध हाउस पर हमले की योजना बना रही है.
उन्होंने दावा किया कि उनके पास इस्लामाबाद पुलिस और पीटीआई की टाइगर फोर्स "हमले" की योजना बनाने की जानकारी थी. पीपीपी सांसदों ने कहा कि अगर सिंध हाउस की सुविधाओं या उनके सदस्यों को कोई नुकसान होता है तो सरकार जिम्मेदार होगी और यह कानून और संविधान का उल्लंघन होगा. इधर पाकिस्तान के सूचना मंत्री फवाद चौधरी ने आरोप लगाया कि सिंध हाउस खरीद-फरोख्त का गढ़ बन गया है. उन्होंने कहा कि सिंध हाउस में अवैध गतिविधियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की योजना बनाई जा रही है.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक सरकार ने नागरिक खुफिया एजेंसियों को निर्देश दिया गया था कि वे लोकेशन, मोबाइल फोन डेटा और सांसदों की आवाजाही पर नजर रखें और दैनिक आधार पर प्रधानमंत्री खान को रिपोर्ट करें. इमरान खान ने विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी और रक्षा मंत्री परवेज खट्टक को सत्तारूढ़ पीटीआई के असंतुष्ट सांसदों को लुभाने का काम सौंपा है. पीटीआई की बैठक में 21 मार्च को नेशनल असेंबली का सत्र बुलाने पर भी सहमति बनी और प्रधानमंत्री को अंतिम निर्णय लेने का अधिकार दिया.
अविश्वास प्रस्ताव पर मतदान से पहले बैठक में सुझाव दिया गया कि प्रधानमंत्री पार्टी के विद्रोही और लापता सांसदों की पहचान करने के लिए पीटीआई की संसदीय दल की बैठक बुलाएं. गुरुवार को पंजाब विधानसभा के अध्यक्ष परवेज इलाही ने दावा किया कि पीटीआई के नेतृत्व वाले सत्तारूढ़ गठबंधन के 10-12 विधायक विपक्ष की 'सुरक्षित हिरासत' में हैं. सरकार और विपक्ष दोनों 27 मार्च को होने वाली सरकार की सभा के साथ महत्वपूर्ण सत्र से पहले इस्लामाबाद में बड़े पैमाने पर रैलियां करने के लिए तैयार हैं, जबकि विपक्ष का "लॉन्ग मार्च" 25 मार्च के बाद होगा.
अविश्वास प्रस्ताव के सफल होने के लिए संसद के निचले सदन में कुल 342 सदस्यों में से 172 सदस्यों के साधारण बहुमत के समर्थन की आवश्यकता होती है. इमरान खान को अभी भी नेशनल असेंबली में बहुमत प्राप्त है, जिसमें उनके पीटीआई के 155 सदस्य और गठबंधन सहयोगियों के 23 सदस्य शामिल हैं. विपक्ष के पास 163 सदस्य हैं. विपक्ष उम्मीद कर रहा है कि सत्तारूढ़ गठबंधन के कुछ असंतुष्ट विधायक खान की सरकार को हटाने में उनका साथ देंगे. क्रिकेटर से राजनेता बने खान 2018 में सत्ता में आए और अगला आम चुनाव 2023 में होना है.
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