इमरान खान की बढ़ी मुश्किलें, फजलुर रहमान के 'आजादी मार्च' में सड़कों पर उतरे हजारों पाकिस्तानी, इस्तीफे की मांग की
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री के खिलाफ उनके ही देश में आवाज उठ रही है. जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम (जेयूआई-एफ) के प्रमुख मौलाना फजलुर रहमान ने इमरान के इस्तीफे की मांग की है. इसको लेकर हजारों लोग सड़कों पर उतरे हैं.
इस्लामाबाद: पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान की मुश्किलें कम होती नहीं दिखाई दे रही है. जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम (जेयूआई-एफ) के प्रमुख मौलाना फजलुर रहमान के संबोधन के बाद पाकिस्तान के कराची से इमरान के खिलाफ रविवार को 'आजादी मार्च' शुरू हो गई. पाकिस्तान के तीन प्रांतों के बीच जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम ने 'आजादी मार्च' करने का आह्वान किया है. 'आजादी मार्च' अगले पांच दिनों तक चलेगा. यह विरोध प्रदर्शन 31 अक्टूबर को इस्लामाबाद में खत्म होगा. इस दौरान पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान के खिलाफ मोर्चाबंदी की कोशिश की जा रही है और उनके इस्तीफे की मांग भी हो रही है.
मौलाना फजलुर रहमान ने रविवार को मार्च शुरू होने से पहले अपने संबोधन में इमरान खान के इस्तीफे की मांग की. उन्होंने कहा अगर पूरा पाकिस्तान इमरान खान के खिलाफ खड़ा हो जाए तो उन्हें इस्तीफा देना ही होगा. मौलाना फजलुर रहमान ने साथ ही कहा कि प्रदर्शनकारी किसी भी कानून का उल्लंघन नहीं करेंगे और मार्च करने वाले सभी लोग प्रशासन द्वारा निर्धारित सभी शर्तों का पालन करेंगे. मौलाना फजल ने कहा कि उन्हें सरकार के साथ बातचीत को लेकर ज्यादा कोई उम्मीद नहीं है.
बता दें कि सिंध प्रांत की पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के नेतृत्व वाली सरकार जेयूआई-एफ का समर्थन कर रही है. डॉन न्यूज के मुताबिक, शुक्रवार को मौलाना ने कहा था कि उनकी पार्टी की केंद्रीय समिति के सदस्यों और प्रांतीय नेताओं के घरों पर देश भर में छापे मारी की जा रही है. जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम प्रमुख ने कहा, "यदि बैरिकेड्स और अन्य बधाओं के साथ हमारे मार्ग पर बाधाएं उत्पन्न करने का प्रयास किया गया, तो इससे टक्कराव की स्थिति पैदा हो सकती है. चाहे एक महीने के लिए ही राष्ट्रीय राजमार्गो को बंद क्यों ना कर दिया जाए, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता, हम इस्लामाबाद जाएंगे."
मौलाना फजल ने सरकार पर ट्रांसपोर्टरों, छोटे दुकानदारों और पेट्रोल पंप मालिकों को परेशान करने का आरोप लगाया है. कश्मीर मुद्दे पर बात करते हुए मौलाना ने कहा कि जहां एक ओर सीमा पर विवाद की स्थिति बनी हुई है, वहीं सरकार ने करतारपुर कॉरिडोर को खोलने का फैसला किया. उन्होंने कहा, "यह दोहरी नीति दुखी करने वाली है. सरकार ने थारपारकर सीमा को क्यों नहीं खोला."
कौन हैं मौलाना फजलुर रहमान
मौलाना फजलुर रहमान का नाम पाकिस्तान में काफी बड़ा है. वह कई सरकारों के नाक में दम कर चुके हैं. मौलाना फजलुर रहमान पाकिस्तान की सबसे बड़ी धार्मिक पार्टी और सुन्नी कट्टरपंथी दल जमिअत उलेमा-ए-इस्लाम (जेयूआई-एफ) के चीफ हैं. उनके पिता खैबर पख्तूनख्वा प्रांत के सीएम रह चुके हैं. वहां की सियासत में उनके परिवार का खासा प्रभाव रहा है.
इनकी सबसे बड़ी ताकत इनका धार्मिक कार्ड है. माना जाता है कि वह तालिबान समर्थक हैं. एक वक्त पर जब अमेरिका ने तालिबान के खिलाफ अभियान चलाया था तो इसे मौलाना फजलुर रहमान ने इस्लाम के खिलाफ बताकर जेहाद का एलान किया था. उस वक्त इन्होंने तालिबान के पक्ष में रैलिया भी निकाली थी जिसके बाद परवेज मुशर्रफ ने इन्हें नज़रबंद करवा दिया था.