इमरान खान अब पाकिस्तान के 'कप्तान' नहीं हैं. इमरान खान भी अपना पांच साल का कार्यकाल पूरा नहीं कर पाए. हालांकि पाकिस्तान में ऐसा पहली बार नहीं हुआ है. इससे पहले साल 1993 में नवाज शरीफ की संसद भंग करने की सिफारिश भी मंजूर हुई थी. लेकिन उसके बाद होने वाले चुनाव में उन्हें करारी शिकस्त मिली थी. साल 2008 में परवेज मुशर्रफ मार्शल लॉ खत्म कर चुनावी मैदान में कूदे थे लेकिन जनता ने उन्हें स्वीकार नहीं किया था. मुशर्रफ इसके बाद देश छोड़कर भाग गए.


पाकिस्तान के इतिहास में आज तक कोई प्रधानमंत्री अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाया और न ही कोई प्रधानमंत्री लगातार दूसरी बार सत्ता में वापसी कर पाया है. इसलिए पाकिस्तान की सत्ता में अब इमरान खान की वापसी मुश्किल है. 


पाकिस्तान 14 अगस्त 1947 को भारत से अलग हुआ था. तब से लेकर अबतक पाकिस्तान की सत्ता में 22 नेता प्रधानमंत्री पद पर रह चुके हैं. इसके अलावा सात कार्यवाहक प्रधानमंत्री और एक अंतरिम प्रधानमंत्री रहे. गुलाम मुस्तफा जाटोई, बलाख शेर मजारी, मोईनुद्दीन अहमद कुरैशी, मलिक मिराज खालिद, मोहम्मद मियां सोमरो, मीर हजार खान खोसो, शाहिद खकान अब्बासी कार्यवाहक प्रधानमंत्री रहे. नवाज शरीफ अलग कार्यकाल में तीन बार प्रधानमंत्री पद पर रहे. 26 साल 1 महीने 23 दिन तक कोई पीएम पद पर नहीं रहा. इस दौरान यहां सैन्य शासन रहा.


पाक का इतिहास नहीं बदल पाए इमरान
3 अप्रैल को पाकिस्तान के नेशनल एसेंबली में डिप्टी स्पीकर ने अविश्वास प्रस्ताव को खारिज कर दिया. और फिर राष्ट्रपति आरिफ अल्वी ने प्रधानमंत्री की सिफारिश पर नेशनल एसेंबली को ही भंग कर दिया. इमरान खान ने राष्ट्रपति को मध्यावधि चुनाव कराने की सलाह दी है. तब तक राष्ट्रपति ने अधिसूचना जारी कर  इमरान खान को प्रधानमंत्री पद पर बने रहने को कहा है.


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