Imran Khan allegation on US: पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान ने अपनी सरकार को सत्ता से बेदखल करने के लिए सीधे तौर पर अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन प्रशासन पर साजिश करने का सोमवार को आरोप लगाया है. पाकिस्तान के 22वें प्रधानमंत्री खान को 9 अप्रैल को अविश्वास प्रस्ताव के माध्यम से पद से हटा दिया गया था. इसके साथ ही वह पाकिस्तान के इतिहास में अविश्वास प्रस्ताव के माध्यम से अपदस्थ किये जाने वाले प्रथम प्रधानमंत्री हो गए.

 

क्रिकेटर से नेता बने खान कई बार आरोप लगा चुके हैं कि उनके राजनीतिक विरोधियों ने पाकिस्तान में सरकार बदलने के लिए अमेरिका के साथ सांठगांठ की है. हालांकि, उन्होंने इसका कोई विश्वसनीय सबूत नहीं दिया है और वाशिंगटन ने किसी भी तरह के हस्तक्षेप से इनकार किया है. खान ने ट्वीट कर यह नया दावा ऐसे समय किया है, जब एक अमेरिकी रक्षा विश्लेषक डॉ. रेबेका ग्रांट ने ‘फॉक्स न्यूज’ के एक शो में पाकिस्तान के बारे में टिप्पणी की है.

 

रूस के साथ सौदों की तलाश बंद करे

 

ग्रांट ने शो के दौरान कहा, ‘‘पाकिस्तान को यूक्रेन का समर्थन करने की जरूरत है, रूस के साथ सौदों की तलाश बंद करनी चाहिए. चीन के साथ अपनी भागीदारी सीमित करनी चाहिए और अमेरिका विरोधी नीतियों को रोकना चाहिए जिसके कारण तत्कालीन प्रधानमंत्री इमरान खान को कुछ सप्ताह पहले पद से हटना पड़ा था.’’

 

खान का कहना वह विदेशी साजिश का शिकार हुए

 

खान ने कहा कि यह टिप्पणी उनके इस दावे की पुष्टि करती है कि वह विदेशी साजिश का शिकार हुए. उन्होंने अपने बयान के साथ ग्रांट की टिप्पणी का वीडियो क्लिप भी साझा किया. उन्होंने कहा, ‘‘अगर किसी को शासन परिवर्तन की अमेरिकी साजिश के बारे में कोई संदेह था, तो यह वीडियो सभी संदेहों को दूर करेगा कि लोकतांत्रिक रूप से चुने गए प्रधानमंत्री और उनकी सरकार को क्यों हटाया गया.

 

अमेरिका प्रधानमंत्री के रूप में कठपुतली चाहता है

 

स्पष्ट है कि अमेरिका प्रधानमंत्री के रूप में एक आज्ञाकारी कठपुतली चाहता है जो पाकिस्तान को यूरोपीय युद्ध में तटस्थता का विकल्प नहीं चुनने देगा. खान ने अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडन से सवाल किया कि उनके हटने से पाकिस्तान में अमेरिका विरोधी भावना बढ़ी या कम हुई. खान ने इससे पहले मार्च में वाशिंगटन में पाकिस्तान के राजदूत द्वारा भेजे गए एक गुप्त पत्र का इस्तेमाल अपनी सरकार को हटाने के लिए विदेशी साजिश के अपने दावे का समर्थन करने के लिए किया था. पत्र एक वरिष्ठ अमेरिकी अधिकारी के साथ राजदूत की बातचीत के बारे में था, जिन्होंने रूस के प्रति पाकिस्तान की नीति पर नाराजगी व्यक्त की थी.