नई दिल्लीः पाकिस्तान में हिंदुओं का धार्मिक उत्पीड़न लगातार जारी है. हर दिन ऐसी घटनाएं वहां देखने को मिल रही है. लेकिन इसके बावजूद पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान बेशर्मी से दुनिया के सबसे बड़े मंच पर सर्वधर्म सद्भाव की बात करते रहे हैं.  अभी हाल ही में यानि 25 सितंबर 2021 को जब पाकिस्तान के वजीर-ए-आजम दुनिया को धार्मिक सद्भाव का आह्वान कर रहे थे. उसके हफ्ते भर के भीतर ही पाकिस्तान के पेशावर में एक सिख डॉक्टर की सरेआम हत्या कर दी जाती है. डॉक्टर सतनाम सिंह का गुनाह सिर्फ इतना था कि वो सिख समुदाय से थे और पाकिस्तान में रह रहे थे.


दुनिया को सर्वधर्म सद्भाव की राह दिखाने वाले इमरान खुद अपने देश में अल्पसंख्यकों को महफूज तक महसूस नहीं करा पा रहे हैं. दुनिया के मंच पर इस्लामोफोबिया का राग अलापने वाले इमरान खान को इस घटना को देखना चाहिए. इमरान खान इतने असंवेदनशील हैं कि अल्पसंख्यकों के खिलाफ जारी घटना के बाद भी कीचड़ भारत की तरफ उछालने में जुटे रहते हैं.


मुस्लिमों के रहनुमा होने का दावा ठोकने वाले इमरान खान भारत के मुस्लिमों के लिए ज्यादा फिक्रमंद रहते हैं लेकिन बात जब ऊइगर मुस्लिमों की आती है तो जुबान पर ताले पड़ जाते हैं. इमरान दुनिया से तो धार्मिक सद्भाव की अपेक्षा रखते हैं लेकिन खुद इस पर खरे कैसे उतरेंगे. क्योंकि, पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों का धार्मिक संकट उफान पर है.


अब इन आंकड़ों पर गौर करें तो देखेंगे कि पाकिस्तान में जबरन धर्मांतरण किया जा रहा है-


- 54.3% हिंदू आबादी का धर्मांतरण हो चुका है


- 44.44% ईसाई आबादी भी इस्लाम कबूल कर चूकी है


- 0.62% सिखों का भी जबरन धर्म परिवर्तन कर दिया गया है


साल 2017 में पाकिस्तान में जनगणना हुई लेकिन धार्मिक आधार पर जनसंख्या को सार्वजनिक नहीं किया गया. क्योंकि पाकिस्तान की धार्मिक दहशतगर्दी का चिट्ठा सार्वजनिक हो जाता. पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों का धर्मांतरण, धार्मिक स्थलों में तोड़फोड़ और सरेआम हत्या की खबर आम हो चुकी है लेकिन इमरान खान हैं कि खुद के घर में लगी आग बुझाने की बजाए तमाशबीन बने हुए हैं.


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