पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान की कुर्सी खतरे में है. इसका दबाव साफ उन पर दिख रहा है. शायद इसलिए उन्होंने एक बार फिर कश्मीर राग छेड़ा है और भारत पर निशाना साधा है. जबकि दो दिन पहले रविवार को उन्होंने भारत की ''स्वतंत्र विदेश नीति'' की जमकर तारीफ की है. लेकिन इस्लामाबाद में इस्लामिक सहयोग संगठन (OIC) के विदेश मंत्रियों की परिषद (सीएफएम) के 48 वें सत्र में बोलते हुए वह अलग ही रंग में नजर आए.


इमरान खान ने कश्मीर का मुद्दा उठाते हुए कहा, “हम फलस्तीन और कश्मीर मुद्दे पर नाकाम रहे क्योंकि हम एक नहीं है और वो ताकतें यह बात जानती हैं. वे हमें गंभीरता से नहीं लेतीं. कश्मीर के लोगों से अंतरराष्ट्रीय समुदाय द्वारा जनमत संग्रह का वादा किया गया था लेकिन यह अधिकार उन्हें कभी नहीं दिया गया.”


'कश्मीर का स्पेशल स्टेट्स भारत ने गैरकानूनी तरीके से वापस ले लिया'
पाक पीएम ने कहा, “कश्मीर का स्पेशल स्टेट्स भारत ने 5 अगस्त 2019 को गैरकानूनी तरीके से वापस ले लिया. लेकिन इसके बावजूद कुछ नहीं हुआ. यही वजह है कि वे कोई दबाव महसूस नहीं करते. वे समझते हैं कि हम कोई प्रस्ताव लाएंगे और फिर अपने कामों में लग जाएंगे.”


'हमें संयुक्त मोर्चा बनाने की जरुरत है' 
इमरान खान ने कहा, “मैं विदेश नीति के बारे में कुछ नहीं कहना चाहता हूं क्यों कि हर देश की विदेश नीति अलग-अलग होती है. लेकिन हमें इसके खिलाफ एक संयुक्त मोर्चा बनाने की जरूरत है, नहीं तो ये अत्याशचार कश्मीईर और फलस्तीतन में होते रहेंगे.”


हालांकि इससे पहले रविवार को खैबर-पख्तूनख्वा प्रांत में एक रैली को संबोधित करते हुए खान ने कहा कि वह पड़ोसी देश भारत की सराहना करेंगे क्योंकि उसके पास अपनी एक ''स्वतंत्र विदेश नीति'' रही है. पाकिस्तानी प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत क्वाड समूह का हिस्सा है और उसने अमेरिकी प्रतिबंधों के बावजूद रूस से कच्चा तेल आयात किया.


पाकिस्तान में राजनीतिक हालात बिगड़े
पाकिस्तान में राजनीतिक स्थिति 8 मार्च के बाद खराब हो गई है जब विपक्षी दलों द्वारा अविश्वास प्रस्ताव सौंपा गया था.  पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) और पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) के लगभग 100 सांसदों ने आठ मार्च को नेशनल असेंबली सचिवालय में एक अविश्वास प्रस्ताव पेश किया था. अविश्वास प्रस्ताव में आरोप लगाया गया है कि इमरान खान के नेतृत्व वाली पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) पार्टी की सरकार देश में आर्थिक संकट और बढ़ती महंगाई के लिए जिम्मेदार है.  अविश्वास प्रस्ताव के लिए नेशनल असेंबली का सत्र 21 मार्च को बुलाए जाने की उम्मीद है और मतदान 28 मार्च को होने की संभावना है. इमरान सरकार की मुश्किलें इसलिए भी बढ़ गई हैं क्योंकि अविश्वास प्रस्ताव पर मतदान से से पहले सत्तारूढ़ पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) पार्टी के करीब दो दर्जन सांसदों ने बगावती तेवर अपना लिए हैं. हालांकि, इमरान खान नीत सरकार ने विपक्षी दलों पर सांसदों की खरीद-फरोख्त करने का आरोप लगाया है.


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