Pak Political Crisis:  पाकिस्तान का सुप्रीम कोर्ट नेशनल असेंबली के उपाध्यक्ष द्वारा अविश्वास प्रस्ताव को खारिज करने और उसके बाद संसद को भंग किए जाने के मामले में अपना फैसला थोड़ी देर में सुनाएगा. पाकिस्तान के मुख्य न्यायाधीश (सीजेपी) उमर अता बंदियाल ने गुरुवार को कहा कि यह स्पष्ट है कि नेशनल असेंबली के डिप्टी स्पीकर कासिम खान सूरी का 3 अप्रैल का फैसला, जिसने प्रधान मंत्री इमरान खान के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव को खारिज कर दिया था, गलत था.


चौथे दिन की सुनवाई के दौरान प्रधान न्यायाधीश बंदियाल ने रेखांकित किया कि प्रथम दृष्टया उपाध्यक्ष का द्वारा सदन में दी गई व्यवस्था संविधान के अनुच्छेद 95 का उल्लंघन हैं.


बंदियाल ने कहा, "असली सवाल यह है कि आगे क्या होता है," उन्होंने कहा कि अब पीएमएल-एन के वकील और पाकिस्तान के अटॉर्नी जनरल (एजीपी) खालिद जावेद खान अदालत का मार्गदर्शन करेंगे कि कैसे आगे बढ़ना है.


'हमें राष्ट्रीय हित को देखना होगा'
मुख्य न्यायाधीश ने कहा, "हमें राष्ट्रीय हित को देखना होगा.” उन्होंने कहा कि अदालत आज फैसला सुनाएगी. उन्होंने सीजेपी बंदियाल की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय पीठ के रूप में टिप्पणी की, जिसमें न्यायमूर्ति इजाजुल अहसन, न्यायमूर्ति मजहर आलम मियांखेल, न्यायमूर्ति मुनीब अख्तर और न्यायमूर्ति जमाल खान मंडोखाइल शामिल हैं. पीठ ने मामले की सुनवाई आज फिर से शुरू की. इससे पहले बुधवार को सुनवाई एक दिन के लिए स्थगित कर दी गई थी.


सुप्रीम कोर्ट की सुरक्षा बढ़ाई गई 
इस फैसले पर पूरे पकिस्तान की निगाहें टिकी हैं. सुप्रीम कोर्ट परिसर में सुरक्षा बढ़ा दी गई है. टेलीविजन फुटेज में शीर्ष अदालत के बाहर पुलिस की तैनाती दिखाई दे रही है. 


यह है मामला
नेशनल असेंबली के उपाध्यक्ष कासिम खान सूरी ने अविश्वास प्रस्ताव से सरकार को गिराने की तथाकथित विदेशी साजिश से जुड़े होने का हवाला देते हुए रविवार को उसे खारिज कर दिया था. कुछ मिनट बाद, राष्ट्रपति आरिफ अल्वी ने प्रधानमंत्री खान की सलाह पर नेशनल असेंबली को भंग कर दिया था. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले का स्वत: संज्ञान लिया है. 


फैसले का क्या होगा असर
अदालती निर्णय न केवल अविश्वास प्रस्ताव के भाग्य का फैसला करेगा बल्कि नेशनल असेंबली को भंग किये जाने और आगामी चुनावों का भी फैसला करेगा. विशेषज्ञों ने कहा कि फैसला अगर खान के अनुकूल होता है तो 90 दिनों के भीतर चुनाव होंगे, और अगर अदालत उपाध्यक्ष के खिलाफ फैसला सुनाती है तो संसद का सत्र फिर से बुलाया जाएगा और खान के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव आएगा.


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