Imran Khan: पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान ने राष्ट्रपति आरिफ अल्वी (Arif Alvi) को पत्र लिखकर सत्ता का दुरुपयोग करनेवालों को रोकने की मांग की है. रविवार (6 नवंबर) को राष्ट्रपति को लिखे एक पत्र में खान ने कहा, "पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (PTI) की सरकार हटने के बाद से देश को झूठे आरोपों, उत्पीड़न, गिरफ्तारी और हिरासत में प्रताड़ना के बढ़ते मामलों का सामना करना पड़ा है."


एक्सप्रेस ट्रिब्यून अखबार के अनुसार, 70 वर्षीय खान ने आरोप लगाया है कि होम मिनिस्टर राणा सनाउल्लाह उन्हें 'बार-बार जान से मारने की धमकी' देते रहे हैं और उन्हें सूचना मिली थी कि प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ, होम मिनिस्टर राणा सनाउल्लाह और एक सीनियर आर्मी ऑफिसर की तरफ से उनकी हत्या की साजिश रची जा रही है." खान ने कहा, "इस सप्ताह की शुरुआत में हमारे लॉन्ग मार्च के दौरान साजिश को अंजाम दिया गया, लेकिन अल्लाह ने मुझे बचा लिया और हत्या का प्रयास विफल हो गया."


जिम्मेदार लोगों को दंडित करें


इमरान खान ने राष्ट्रपति से कहा, "वो पाकिस्तान की सुरक्षा के साथ खिलवाड़ करने वाली गंभीर चीजों का संज्ञान लें." पाकिस्तान के राष्ट्रपति अल्वी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (PTI) से ही जुड़े थे. 


अलग-अलग बिंदु पर उठाए सवाल


इमरान खान ने अपने पत्र में प्रधानमंत्री ऑफिस से जानकारी लीक होने, साइबर विवाद और सेना की मीडिया शाखा, इंटर-सर्विसेज पब्लिक रिलेशंस (ISPR) की भूमिका के संबंध में तीन अलग-अलग बिंदु उठाए. उन्होंने दावा किया कि तब सरकारी गोपनीयता एक्ट का उल्लंघन हुआ जब 'प्रधानमंत्री के रूप में मेरे, सेना प्रमुख और इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (ISI) के डायरेक्टर के बीच एक कथित सेफ लाइन पर हुई बातचीत मीडिया को 'लीक' हो गई."


नेशनल सिक्योरिटी का उल्लंघन


पूर्व प्रधानमंत्री ने कहा, 'इससे बहुत ही गंभीर सवाल उठता है कि कौन सा संगठन प्रधानमंत्री की सेफ फोन लाइन को अवैध रूप से टैप करने में शामिल था? यह हाई लेवल पर नेशनल सिक्योरिटी का उल्लंघन है.''


उन्होंने अपने पत्र के अंत में राष्ट्रपति अल्वी से देश के लोकतंत्र और संविधान की रक्षा किए जाने की बात कही. अल्वी (73) पीटीआई के संस्थापक सदस्यों में से एक हैं. उन्होंने 2006 से 2013 तक पार्टी के महासचिव के रूप में कार्य किया था.


 ये भी पढ़ें: Imran Khan: पीएम शहबाज शरीफ ने इमरान पर हुए हमले की जांच के लिए टीम बनाने का किया अनुरोध, हाई कोर्ट करेगा विचार