इस्लामाबाद: क्रिकेटर से राजनेता बने इमरान खान ने आज राजधानी इस्लामाबाद में राष्ट्रपति भवन में हुए एक सादे शपथग्रहण समारोह में वजीर-ए-आजम (प्रधानमंत्री) के पद की शपथ ली. विदेश में पढ़े और उर्दू से अनजान इमरान खान ने उर्दू में हलफ (शपथ) उठाया. शपथ पत्र में काफी ज्यादा भारी भरकम उर्दू के शब्दों का इस्तेमाल किया गया, जिसे पढ़ने में इमरान खान ने कई ग़लतियां कीं.


शपथ पत्र पढ़ने के दौरान इमरान खान की एक गलती ऐसी है जिससे आने वाले दिनों में पाकिस्तान की सियासत गरमा सकती है. इमरान की ग़लती की बात आगे, पहले जानिए कि आखिर क्यों मुद्दा गरमा सकता है.


ये है झगड़े की असली वजह


दरअसल, पाकिस्तान की सियासत में अहमदिया (कादियानी) फिरके को मुसलमान नहीं मानना सरकार की नीति का हिस्सा रहा है और इससे जुड़ा कोई भी विवाद विस्फोटक हो जाता है. शिया-सुन्नी सारे मुसलमान पैगंबर-ए-इस्लाम मोहम्मद को आखिरी पैगंबर मानते हैं, लेकिन अहमदिया मोहम्मद को आखिरी पैगंबर नहीं मानते हैं. यही झगड़े की जड़ है.


इस्लामी जम्हूरिए पाकिस्तान में सिर्फ मुसलमान ही देश का प्रधानमंत्री बन सकता है. पाकिस्तान कानूनी तौर पर अहमदिया फिरके को मुसलमान नहीं मानता लेकिन मुसलमान और अहमदिया में फर्क करना मुश्किल है इसलिए पाकिस्तान में प्रधानमंत्री की शपथ लेने वाले को न सिर्फ ये कहना पड़ता है कि मैं मुसलमान हूं, बल्कि पैगंबर मोहम्मद को आखिरी पैगंबर भी कहना पड़ता और यहीं इमरान खान गलती कर गए.


इमरान खान ने मोहम्मद को आखिरी पैगंबर नहीं कहा


दरअसल, शपथ पत्र में ये पढ़ना था कि 'हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम खात्मुननबीईन हैं', यानी पैगंबर मोहम्मद आखिरी पैगंबर हैं, लेकिन इमारन खान खात्मुननबीईन कह ही नहीं पाए, यानी शपथ के दौरान कम से कम जुबान से इमरान खान ने मोहम्मद को आखिरी पैगंबर नहीं कहा है. अब ये मुद्दा पाकिस्तान में गरमा जाए तो कोई अचरज नहीं होगा. हालांकि, इसके साथ ही इमरान खान ने अनेक जगहों पर शपथ पत्र पढ़ने में गलतियां कीं.