इमरान के विधायकों ने डिप्टी स्पीकर को पीटा, मरियम नवाज बोलीं- इस गुंडागर्दी को मिटाना हर पाकिस्तानी का फर्ज
लाहौर हाईकोर्ट ने 16 अप्रैल 2022 यानी आज को पंजाब के मुख्यमंत्री के लिए चुनाव कराने का आदेश दिया था.
पाकिस्तान के पंजाब विधानसभा हॉल में आज जबरदस्त सियासी सरगर्मी रही, विधानसभा हॉल आज युद्ध के मैदान में तब्दील हो गया. दरअसल पीटीआई के विधायकों ने मुख्यमंत्री के चुनाव के लिए बुलाए गए सत्र में डिप्टी स्पीकर दोस्त मोहम्मद मजारी के साथ हाथापाई की.
पीएमएल-एन की उपाध्यक्ष मरियम नवाज ने कहा, 'PTI से इस गुंडागर्दी और रोड रेज को मिटाना हर पाकिस्तानी का पहला कर्तव्य है. यह संस्कृति किसी भी तरह से देश और राष्ट्र के लिए अच्छी नहीं है बल्कि एक आपदा है. इसे तुरंत रोककर खत्म किया जाना चाहिए. पंजाब के लोगों को उनके चेहरे पहचानने दें. '
मिली जानकारी के मुताबिक सत्ता पक्ष के विधायकों ने मजारी पर 'लोटे' फेंके और फिर सुरक्षा गार्डों की मौजूदगी के बावजूद उन पर हमला कर दिया. इस हमले में डिप्टी स्पीकर जख्मी हो गए. यह सेशन 11:30 बजे शुरू होने वाला था, लेकिन पीटीआई सदस्यों की अनुपस्थिति के कारण इसमें देरी भी हुई.
यह हंगामा तब शुरू हुआ जब पीटीआई विधायकों में से कई सत्र के विधानसभा के अंदर लोटा लेकर पहुंचें और "लोटा, लोटा" (टर्नकोट) का नारा लगाना शुरू कर दिया, वह इस नारे से उन पीटीआई विधायकों को लताड़ लगा रहे थे जिन्होंने पार्टी से अलग होकर विरोध में समर्थन करने का फैसला किया था.
लाहौर हाईकोर्ट ने मुख्यमंत्री के लिए चुनाव कराने का आदेश दिया था
बता दें कि लाहौर हाईकोर्ट ने 16 अप्रैल 2022 यानी आज को पंजाब के मुख्यमंत्री के लिए चुनाव कराने का आदेश दिया था. पंजाब की मुख्यमंत्री सीट के लिए पीएमएल-एन (PML-N) के हमजा शाहबाज शरीफ और पीएमएल-क्यू (PML-Q) के चौधरी परवेज इलाही एक-दूसरे के खिलाफ हैं. हमजा शाहबाज वर्तमान में दौड़ में सबसे आगे हैं क्योंकि पीटीआई प्रांतीय विधानसभा के कई सदस्य पार्टी से अलग हो गए हैं.
इससे पहले लाहौर हाईकोर्ट ने मंगलवार को इस याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था. इस याचिका में पंजाब के मुख्यमंत्री के चुनाव पर हस्तक्षेप करने की मांग की गई थी. समाचार एजेंसी एक्सप्रेस ट्रिब्यून के मुताबिक सीएम का चुनाव कराने के लिए पाकिस्तान मुस्लिम लीग (नवाज), पीएमएलक्यू और पंजाब विधानसभा सचिवालय सत्र के दौरान तटस्थ फैसला नहीं ले सके थे. जिसके कारण हाइकोर्ट के दखल का फैसला लिया गया था.
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