अफगानिस्तान में भारत की भूमिका को लेकर पाक ने मारी भारी पलटी
ट्रंप ने पिछले दिनों यह कहते हुए भारत की आलोचना की थी कि भारत, अफगानिस्तान में शांति और स्थिरता लाने की दिशा में पर्याप्त काम नहीं कर रहा है. इस पर नई दिल्ली की ओर से कहा गया कि भारत संयुक्त राष्ट्र के विशेष आदेश के सिवा अपनी सेना विदेश नहीं भेजता है.
इस्लामाबाद: पाकिस्तान के विदेश कार्यालय के प्रवक्ता मोहम्मद फैसल ने बृहस्पतिवार को कहा कि अफगानिस्तान में भारत की कोई भूमिका नहीं है. साथ ही कहा कि लंबे समय से चली आ रही अफगानिस्तान समस्या का शांतिपूर्ण समाधान तलाशने के लिए इस्लामाबाद ने तालिबान और अमेरिका के बीच साधी बातचीत की व्यवस्था करने में अहम भूमिका निभाई है.
विदेश कार्यालय के प्रवक्ता ने साप्ताहिक ब्रीफिंग में कहा कि पाकिस्तान हमेशा इस पर कायम रहा है कि अफगनिस्तान में संघर्ष का हल अफगानिस्तान की अगुवाई वाली और अफगान की स्वामित्व वाली शांति प्रक्रिया में समाया है. उन्होंने कहा, ‘‘उसका (नीति) पालन करते हुए हमने अमेरिका और तालिबान के बीच सीधी बातचीत की व्यवस्था कराई.’’ प्रवक्ता ने कहा कि पाकिस्तान का मानना है कि इस युद्ध प्रभावित देश में शांति और स्थायित्व अफगानिस्तान की अंदरूनी बातचीत से ही आएगी.
देश में भारत की भूमिका के बारे में पूछे गए एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा, ‘‘अफगानिस्तान में भारत की कोई भूमिका नहीं है.’’ फैसल का ये बयान पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी के उस बयान से ठीक उल्टा है जिसमें उन्होंने स्वीकार किया था कि भारत का अफगानिस्तान की शांति प्रक्रिया में सहयोग जरूरी है.
दरअसल कुरैशी ने पिछले महीने कहा था, ‘‘अफगानिस्तान में शांति की स्थापना के लिए (अहम पक्षकारों के बीच) कुछ बैठकें हुई हैं. भारत के सहयोग की भी आवश्यकता है. प्रवक्ता ने जानकारी दी कि प्रधानमंत्री इमरान खान आधिकारिक निमंत्रण पर 21 जनवरी को कतर जाएंगे और कतर के अमीर और प्रधानमंत्री से मुलाकात करेंगे.
अमेरिका के विशेष दूत पाकिस्तान पहुंचे अफगानिस्तान में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के विशेष दूत जाल्मे खलीलजाद गुरुवार को पाकिस्तान पहुंचे. वो युद्ध से तबाह अफगानिस्तान में शांति बहाली के हालिया प्रयासों के मद्देनजर प्रमुख नेताओं और सैन्य अधिकारियों से बातचीत करेंगे. जियो न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिकी दूत पहले मंगलवार को यहां आने वाले थे लेकिन काबुल में बैठकों में शामिल होने के कारण उनके दौरे के कार्यक्रम में तब्दीली की गई.
उम्मीद है कि वो अफगानिस्तान शांति प्रक्रिया, तालिबान के साथ बातचीत और अफगानिस्तान से अमेरिकी सेना की वापसी के मसलों पर बातचीत करेंगे. द एक्सप्रेस ट्रिब्यून ने पाकिस्तान में अमेरिकी राजनयिकों के हवाले से बताया कि खलीलजाद शांति प्रक्रिया में अफगान तालिबान को शामिल करने को लेकर पाकिस्तानी अधिकारियों पर दबाव डाल सकते हैं. अखबार के मुताबिक उन्होंने कहा कि अमेरिकी विदेश विभाग की वरिष्ठ अधिकारी लीसा कुर्टिस भी बैठक में शामिल होंगी.
खलीलजाद ने पिछले महीने अबु धाबी में तालिबान के प्रतिनिधियों से मुलाकात की थी. वो अफगानिस्तान में विवाद का हल तलाशने के मद्देनजर 8-21 जनवरी के दौरान बातचीत के लिए भारत, चीन, अफगानिस्तान और पाकिस्तान का दौरा कर रहे अंतर-एजेंसी प्रतिनिधिमंडल की अगुवाई कर रहे हैं. उनका यह दौरा अमेरिकी राष्ट्रपति द्वारा अफगानिस्तान से 14,000 अमेरिकी सैनिकों में से आधे की वापसी के संकेत दिए जाने के बाद हो रहा है.
ट्रंप ने पिछले दिनों यह कहते हुए भारत की आलोचना की थी कि भारत, अफगानिस्तान में शांति और स्थिरता लाने की दिशा में पर्याप्त काम नहीं कर रहा है. इस पर नई दिल्ली की ओर से कहा गया कि भारत संयुक्त राष्ट्र के विशेष आदेश के सिवा अपनी सेना विदेश नहीं भेजता है.
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