France Crises: फ्रांस में ईंधन किल्लत और बढ़ती महंगाई के विरोध में मैक्रों सरकार के खिलाफ सड़कों पर जनता
ईंधन की किल्लत के बाद फ्रांस में ट्रांसपोर्ट, स्कूल और अस्पतालों में काम करने वालों ने इमैनुएल मैक्रों सरकार के खिलाफ हड़ताल कर दी है.
France Fuel Crisis: फ्रांस की जनता अपनी ही सरकार के खिलाफ सड़क पर उतर आई है. वजह है बढ़ती महंगाई और तेल-गैस जैसे ईंधन की किल्लत. पेरिस शहर का आलम ये है कि गैस स्टेशन पर एक-एक घंटा इंतजार करने के बाद बाइक और कार को फ्यूल मिल पा रहा है.
इमैनुएल मैक्रों सरकार के खिलाफ हल्ला बोल
ईंधन की इतनी किल्लत के बाद महंगाई के खिलाफ फ्रांस में ट्रांसपोर्ट, स्कूल और अस्पतालों में काम करने वालों ने इमैनुएल मैक्रों सरकार के खिलाफ हल्ला बोल दिया है. लोगों की एक मांग ये भी है कि रूस के खिलाफ फ्रांस बैन हटाए ताकि गैस और ईंधन की सप्लाई बहाल हो सके. फ्रांस में इन विरोध प्रदर्शनों को लेफ्ट पार्टियों का पूरा समर्थन है.
हड़ताल की सबसे बड़ी वजह
इमैनुएल मैक्रों ने मई में राष्ट्रपति पद का नया कार्यकाल शुरू किया. इसके बाद प्रमुख यूनियनों ने सरकार को सबसे बड़ी चुनौती देते हुए मंगलवार को हड़ताल की घोषणा कर दी. यह कदम ऊर्जा क्षेत्र की दिग्गज कंपनी Total Energies की तरफ से चलने वाली कई रिफाइनरियों और डिपो के कर्मचारियों ने लिया. उन्होंने अपनी हड़ताल की कार्रवाई को आगे बढ़ाने के लिए मतदान किया. वहां मोटर चालकों ने टैंकों को भरने के लिए हाथापाई कर दी, जिसकी वजह से कर्मचारी हड़ताल पर उतर आए. इस घटना को हुए लगभग तीन सप्ताह हो चुके हैं. बता दें कि Total Energies की आपूर्ति फ्रांस के 30 प्रतिशत से अधिक सर्विस स्टेशनों पर होती है.
यूरोप में महंगाई रिकॉर्ड स्तर पर
रूसी गैस की सप्लाई घट जाने के कारण पूरे यूरोप में इस समय महंगाई रिकॉर्ड स्तर पर है. गहराते ऊर्जा संकट के कारण आने वाली सर्दियों में घरों को गर्म रखने को लेकर चिंता बढ़ती जा रही है. इटली भी इसका शिकार है. रूस पर लगने वाले बैन ने पूरे यूरोप की इकॉनमी को कमजोर किया है.
महंगाई और फ्यूल प्राइस पर जोरदार प्रदर्शन हुए
इस साल जनवरी से सितंबर के बीच 91 देशों में महंगाई और फ्यूल प्राइस पर जोरदार प्रदर्शन हुए. चौंकाने वाली बात ये है कि इन 91 देशों में से एक तिहाई देश ऐसे हैं जहां 2021 में महंगाई और ईंधन की कीमतों के खिलाफ कोई प्रोटेस्ट नहीं हुआ था. अर्थशास्त्रियों का कहना है कि यूक्रेन में रूस के युद्ध छेड़ने की वजह से ऊर्जा की लागत बढ़ गई है. वहीं उर्वरकों, अनाज और खाद्य तेल की कीमतें बढ़ गई हैं.
बढ़ती कीमतों के साथ अमीरों और गरीबों के बीच की असमानता और बढ़ने का खतरा है. महंगाई और ईंधन की कमी से एक मुल्क कैसे तबाह होता है. श्रीलंका उसकी मिसाल है. कैरेबियाई देश हैती में भी महंगाई की वजह से पुलिस और पब्लिक के बीच खूनी भिड़ंत हुई थी.
किन देशों में हुए विरोध
पाकिस्तान में विपक्षी दलों, जिम्बाब्वे में नर्सों, बेल्जियम में कामगारों, ब्रिटेन में रेलवे कर्मचारियों, इक्वाडोर में स्थानीय लोगों, अमेरिका में पायलटों और कुछ यूरोपीय एयरलाइंस के कर्मचारियों ने भी बढ़ती महंगाई (Inflation) के मुद्दे पर प्रदर्शन किए. दक्षिण कोरिया में ट्रक चालकों की ने भी हड़ताल किए.
जो ईंधन की बढ़ती कीमतों के बीच न्यूनतम वेतन गारंटी की मांग कर रहे थे. स्पेन में भी ट्रक कर्मी हड़ताल पर चले गए थे. अप्रैल में पेरू में ईंधन और खाद्य वस्तुओं की बढ़ती कीमतों को लेकर हो रहे प्रदर्शनों के हिंसक होने के बाद सरकार को कर्फ्यू लगाना पड़ा था.
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