भारत का ये मित्र देश लोगों को क्यों मुफ्त में बांट रहा है घर
जापान के युवा शहर की नौकरियों के लिए ग्रामीण क्षेत्रों को छोड़ देते हैं, यहां के ग्रामीण इलाकों में 'भूत' घरों की संख्या बहुत ज़्यादा हो गई है, जिन्हें अकीया कहा जाता है. ऐसा अनुमान है कि 2040 तक जापान में लगभग 900 कस्बों और गांवों का अस्तित्व नहीं रहेगा और ओकुटामा उनमें से एक है. ऐसे मामले में संपत्ति को मुफ्त में देना अस्तित्व को बचाने की एक जंग की तरह है.
ओकुटामा: भारत के मित्र देश जापान में लोगों को मुफ्त में घर दिए जा रहे हैं. जापान के ओकुटामा प्रांत में दो माले के इन घरों में काफी जगह है और आस-पास का वातावरण काफी स्वच्छ है. पहली बार सुनने पर मुफ्त का घर भले की किसी घोटाले के जैसा लगे लेकिन जापान एक अजीब स्थिति से गुज़र रहा है जिसमें वहां लोगों के रहने के लिए घर बहुत ज़्यादा है लेकिन उनकी तुलना में आबादी कम है. ये जानकारी अमेरिकी मीडिया सीएनएन में पुल्तिज़र सेंटर के हवाले से छपी है.
जापान पॉलिसी फोरम के मुताबित 2013 में 61 मिलियन घर थे लेकिन सिर्फ 52 मिलियन परिवार थे. ये स्थिति और खराब होने की तरफ बढ़ रही है. नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ पॉप्यूलेशन एंड सोशल सिक्योरिटी के मुताबिक 2065 तक जापान की जनसंख्या 127 मिलियन से घटकर लगभग 88 मिलियन हो जाएगी. इसका मतलब है कि और कम लोगों को घर की दरकार होगी.
जैसा कि युवा शहर की नौकरियों के लिए ग्रामीण क्षेत्रों को छोड़ देते हैं, जापान के ग्रामीण इलाकों में 'भूत' घरों की संख्या बहुत ज़्यादा हो गई है, जिन्हें अकीया कहा जाता है. ऐसा अनुमान है कि 2040 तक जापान में लगभग 900 कस्बों और गांवों का अस्तित्व नहीं रहेगा और ओकुटामा उनमें से एक है. ऐसे मामले में संपत्ति को मुफ्त में देना अस्तित्व को बचाने की एक जंग की तरह है.
ओकुतामा यूथ रिवाइटलिज़ेशन (ओएआरआर) विभाग के एक अधिकारी कज़ुतका नीइजिमा का कहना है, "2014 में हमने पाया कि ओकुटामा टोक्यो (प्रान्त) के ऐसे तीन शहरों में से एक है जो 2040 तक गायब होने की कगार पर था." टोक्यो प्रांत के घने, नीयॉन से लथपथ केंद्र से ओकुटामा पहुंचने के लिए दो घंटे के ट्रेन का सफर करना पड़ता है.
1960 के दशक में यहां 13,000 से ज़्यादा की आबादी का दावा किया जाता था, साथ ही एक लाभदायक लकड़ी के व्यापार का भी दावा था. लेकिन 1990 के दशक में आयात के उदारीकरण और लकड़ी की गिरती मांग के बाद ज्यादातर युवा शहर चले आए और आज ओकुटामा की आबादी 5,200 के करीब है.
2014 में यहां एक 'अकीया बैंक' यानी की खाली घरों की योजना की स्थापना की गई जो खाली संपत्तियों के साथ संभावित खरीदारों का मेल करवाती है. हालांकि, अकीया बैंक पूरे जापान में आम हैं, प्रत्येक शहर अपनी ख़ुद की शर्तों को निर्धारित करता है. वहीं, हर जगत ये तय किया जाता है कि जो लोग मुफ्त घर या घर के नवीकरण में सहायता प्राप्त कर रहे हैं, उनकी उम्र 40 साल से कम हो या कम से कम एक बच्चे की उम्र 18 साल से कम हो या 50 साल से कम उम्र का एक साथी हो.
ऐसी भी शर्त है कि अकीया के आवेदकों को भी स्थायी रूप से इन शहर में बसने के लिए प्रतिबद्ध होना पड़ेगा और सेकेंड हैंड घरों को अपग्रेड करने में निवेश करने को भी तैयार होना होगा. लेकिन ऐसे देश में घरों को मुफ्त में देना भी मुश्किल है जहां लोग नए घर में रहना पसंद करते हैं.
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