इस्लामाबाद: पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को कहा कि पाकिस्तानी पुरुष को दूसरी शादी करने के लिए अपनी पहली पत्नी की सहमति या मध्यस्थता परिषद से एक दूसरे की अनुमति लेनी होगी. कोर्ट ने कहा कि यदि कोई व्यक्ति अपनी पहली पत्नी को बिना उसकी सहमति के छोड़ देता है, तो उसे तुरंत हक मेहर की पूरी राशि का भुगतान करना होगा, या डोकर जो निकाह के दिन तय हुआ था.


अदालत ने टिप्पणी करते हुए कहा कि दूसरी शादी से पहले पहली पत्नी से अनुमति लेने के कानून का उद्देश्य समाज को बेहतर बनाना है, इसके उल्लंघन से कई समस्याएं हो सकती हैं.


न्यायमूर्ति सैय्यद मज़ार अली अकबर नकवी द्वारा पेश शीर्ष अदालत के पांच-पृष्ठ के आदेश, पेशावर हाई कोर्ट (पीएचसी) के एक फैसले के खिलाफ अपील के जवाब में आए, जिसमें एक आदमी को अपनी पहली पत्नी को तुरंत पूरी हक मेहर भुगतान करने को अनिवार्य करने का फैसला सुनाया था.


सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता मुहम्मद जमील को तुरंत पूरे हक मेहर का भुगतान पहली पत्नी को करने का निर्देश दिया क्यों कि उसने अपनी पहली पत्नी की सहमति के बिना शादी की थी.


Tiktok के नए सीईओ केविन मेयर ने चार महीने में ही दिया इस्तीफा, जानें क्या है मामला


सुशांत के पिता ने रिया को बताया हत्यारी, जांच एजेंसियों से की जल्द गिरफ्तार करने की मांग