Research On Coronavirus: कोरोना वायरस (Coronavirus) को लेकर एक नई रिसर्च में पता चला है कि कोरोना प्रभावित बच्चों और किशोरों में टाइप 1 डायबिटीज से पीड़ित होने का खतरा ज्यादा होता है. रिसर्च के बारे में दी गई जानकारी ‘जेएएमए नेटवर्क ओपन’ में प्रकाशित हुआ है.


किस उम्र के लोगों पर किया गया रिसर्च


कोरोना वायरस को लेकर जिन लोगों पर रिसर्च किया गया, उनकी उम्र 18 वर्ष से कम थी. संक्रमित (Infected) होने के छह महीने के बाद के टाइप 1 डायबिटीज से पीड़ित पाए जाने के मामलों में उन लोगों की तुलना में 72 प्रतिशत की वृद्धि पाई गई जो कोविड-19 से संक्रमित नहीं हुए हैं.


रिसर्च में कोरोना वायरस संक्रमण के छह महीने के भीतर कुल 123 मरीज टाइप 1 डायबिटीज से पीड़ित पाए गए. इसी अवधि में 72 ऐसे भी मरीज टाइप 1 डायबिटीज से पीड़ित पाए गए, जो श्वसन प्रणाली के संक्रमण से संक्रमित हुए थे, जिसका संबंध कोविड-19 से था ही नहीं.


इसके अलावा मार्च 2020 से दिसंबर 2021 के बीच SARC-Cov-2 से संक्रमित पाए गए अमेरिका एवं 13 अन्य देशों के 18 साल या उससे कम आयु के 10 लाख से अधिक लोगों पर भी रिसर्च किया गया था. इन मरीजों में वे लोग भी शामिल थे, जो कोविड अवधि में सांस के इन्फेक्शन से संक्रमित हुए. जिनका संबंध कोविड-19 से नहीं था.


टाइप डायबिटीज को कैसा रोग माना जाता है?


अमेरिका में स्थित ‘केस वेस्टर्न रिजर्व स्कूल ऑफ मेडिसिन’ में प्रोफेसर पामेला डेविस का कहना है कि ‘‘टाइप 1 डायबिटीज को ऑटोइम्यून रोग माना जाता है.’’ यह अमूमन इसलिए होता है, क्योंकि शरीर की रोग सुरक्षा साधन इंसुलिन पैदा करने वाली कोशिकाओं पर हमला करना शुरू कर देती है. इसके कारण इंसुलिन बनना बंद हो जाता है और यह बीमारी होती है. ऐसा बताया जाता है कि कोविड के कारण स्व-सुरक्षा संबंधी प्रक्रियाओं में बढ़ोतरी होती है.


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