स्टैचू ऑफ़ यूनिटी के बाद लंदन में बनी 'विश्व युद्ध के शेरों' की प्रतिमा, बढ़ा भारत का सम्मान
1918 में समाप्त हुए पहले विश्व युद्ध की 100वीं सालगिरह मनाने के लिए 10 फुट की इस कांसे की मूर्ति का अनवारण किया गया. गुरुद्वारा ने इसके लिए 20,000 पाउंड (इसे लिखे जान के समय 18,93,306.40 रुपए) की रकम दी. मूर्ति को लूक पेरी ने डिज़ाइन किया है और इसे ग्रेनाइट के चबूतरे पर खड़ा किया गया है.
लंदन: गुजरात में बनी सरदार पटेल की स्टैचू ऑफ़ यूनिटी के बाद एक और मूर्ति दुनिया भर में भारत का सम्मान बढ़ाने जा रही है. ख़ास बात ये भी है कि ये भारत नहीं बल्कि लंदन में बनी है. इंग्लैंड में वेस्ट मिडलैंड क्षेत्र के सोम्थविक में इस मूर्ति को पहले विश्व युद्ध में लड़े भारतीय सैनिकों के सम्मान में बनाया गया है.
गुरुद्वारा नानक स्मेथविक ने 'विश्व युद्ध के शेर' के नाम की इस मूर्ति का निर्माण करवाया है. ये एक पगड़ी वाले सिख सिपाही की मूर्ति है. इसे दक्षिण एशिया के सभी धर्मों के उन लाखों सैनिकों के सम्मान में बनवाया गया है जिन्होंने दूसरे विश्व युद्ध में अपनी वीरता का परिचय दिया था.
विश्व युद्ध ही नहीं, इन सैनिकों ने ब्रिटेन के अन्य संघर्षों में भी बड़ी भूमिका निभाई थी. गुरुद्वारा नानक स्मेथविक के अध्यक्ष जतिंदर सिंह ने इस मौके पर कहा, "हम उन सभी वीरों के सम्मान में स्मेथविक चौराहे पर इस शहीद स्मारक की स्थापना में गर्व महसूस करते हैं जिन्होंने उस देश की लड़ाई के लिए मीलों तक समंदर का सफर किया जो उनका देश नहीं था."
1918 में समाप्त हुए पहले विश्व युद्ध की 100वीं सालगिरह मनाने के लिए 10 फुट की इस कांसे की मूर्ति का अनवारण किया गया. गुरुद्वारा ने इसके लिए 20,000 पाउंड (इसे लिखे जान के समय 18,93,306.40 रुपए) की रकम दी. मूर्ति को लूक पेरी ने डिज़ाइन किया है और इसे ग्रेनाइट के चबूतरे पर खड़ा किया गया है.
चबूतरे पर दक्षिण एशिया के उन वीरों के रेजिमेंट के नाम भी लिखे हैं जो दूसरे विश्व युद्ध का हिस्सा थे. पिछले हफ्ते ब्रिटेन की निचली सदन में पीएम थेरेसा मे ने भारत के उन सैनिकों को श्रद्धांजलि दी थी जिन्होंने पहले विश्व युद्ध में अपनी सेवा दी थी. बुधवार को मे ने कहा, "74000 से ज़्यादा सैनिक अविभाजित भारत से आए और अपनी जानें दी. उनमें से 11 को उनकी वीरता के लिए विक्टोरिया क्रॉस भी मिला था."
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