अफगानिस्तान में काफी लंबे समय से हिंसाग्रस्त हालात हैं. यहां के बच्चों के सामने भूखमरी की समस्या पैदा हो गई है. यहां की हालत आज ऐसी हो गई है कि एक करोड़ से अधिक बच्चे बहुत ही दयनीय स्थिति में रह रहे हैं. इन बच्चों के सामने मूलभूत आवश्यकताओं से भी ज्यादा जरूरी हो गया है फिलहाल इनके सामने खाने की समस्या. यह आकलन अफगानिस्तान में काम करने वाले एक मानवाधिकार संगठन 'सेव द चिल्ड्रन' का है.


संगठन का मानना है कि 2021 में बच्चों को भोजन उपलब्ध कराने में ही लगभग तीन सौ करोड़ डालर की मदद की जरूरत होगी. हिंसाग्रस्त क्षेत्र में बच्चों की हालत पर अंतरराष्ट्रीय समुदाय को तत्काल ध्यान देने की आवश्यकता है. संगठन के कंट्री डायरेक्टर क्रिस न्यामांडी के अनुसार युद्धग्रस्त अफगानिस्तान में एक करोड़ अस्सी लाख अफगान नागरिकों को खाने की समस्या है. इनमें से नब्बे लाख से ज्यादा बच्चे हैं.


 सेव द चिल्ड्रन की दिसंबर की रिपोर्ट के अनुसार तीन लाख बच्चे सर्दीके मौसम में आवश्यक गर्म कपड़ों से भी वंचित हैं और इसलिए बीमार हो रहे हैं. आर्गेनाइजेशन की ओर से अफगानिस्तान के 34 में से 12 प्रांतों के 1 लाख परिवारों को जाड़े में राहत के लिए मदद दी गई.


इसके तहत इन्हें ईंधन और हीटर, कंबल, गर्म कपड़े जैसे कोट, मोजे, जूते और टोपी दी गई है. लंदन की संगठन के रिपोर्ट में एक 10 वर्षीय बच्ची ब्रिश्ना का जिक्र है जो पूर्वी नांगरहार प्रांत की रहने वाली है. उसने बताया कि उनका परिवार हिंसा के कारण अपना घर छोड़ दूसरे जिले में रहने को मजबूर है. उसने बताया,'जिंदगी काफी मुश्किल हो गई है क्योंकि एकमात्र मेरे पिताजी कमाने वाले हैं और अभी बीमार हैं.'