(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
UNGA on Myanmar: संयुक्त राष्ट्र में म्यांमार पर आए प्रस्ताव से क्यों दूर रहा भारत, ये है बड़ा कारण
संयुक्त राष्ट्र की आमसभा की बैठक में म्यांमार में लोकतंत्र बहाली के लिए एक प्रस्ताव पास हुआ. इसमें भारत ने भाग नहीं लिया. भारत ने वोट में शामिल नहीं होने के अपने फैसले को स्पष्ट करते हुए कहा कि प्रस्ताव में भारत के दृष्टिकोण को शामिल नहीं किया गया है.
म्यांमार पर बुलाए गए संयुक्त राष्ट्र की आमसभा की बैठक (UN General Assembly resolution on Myanmar) में भारत ने वोट देने से इंकार कर दिया. म्यांमार में लोकतंत्र बहाली के लिए बुलाई गई बैठक में संयुक्त राष्ट्र में एक मसौदा पेश किया गया था जिसमें सभी देशों को वोट करना था. भारत ने कहा, मसौदा प्रस्ताव में भारत का दृष्टिकोण परिलक्षित नहीं था. भारत ने कहा, अगर अंतरराष्ट्रीय समुदाय म्यांमार में शांतिपूर्ण समाधान चाहता है तो उसे म्यांमार के पड़ोसी देशों के दृष्टिकोण को इसमें शामिल करना महत्वपूर्ण है.
लोकतांत्रिक प्रक्रिया की बहाली के लिए भारत लगातार प्रयास जारी रखेगा
इस बीच संयुक्त राष्ट्र में भारत के राजदूत टी एस तिरूमूर्ति (TS Tirumurti) ने कहा है कि म्यांमार पर भारत की स्थिति एकदम साफ और सुसंगत रही है. हमने म्यांमार के घटनाक्रम पर अपनी गहरी चिंता व्यक्त की है. हम म्यांमार में हिंसा के इस्तेमाल की कड़ी निंदा करते हैं और ज्यादा से ज्यादा संयम बरतने का आह्वान करते हैं.
तिरूमूर्ति ने कहा भारत म्यांमार पर ASEAN की पांच सूत्रीय सहमति की पहल का स्वागत करता है. हमारा कूटनीतिक प्रयास इस उद्येश्य की प्राप्ति के लिए प्रतिबद्ध है. हम म्यांमार में कानून का राज कायम करने के लिए हिरासत में लिए गए नेताओं की रिहाई का आह्वान करते हैं.
तिरूमूर्ति ने कहा भारत म्यांमार में लोकतांत्रिक प्रक्रिया की बहाली की दिशा में लगातार अपना प्रयास जारी रखेगा ताकि म्यांमार के लोगों की आकांक्षाओं और आशाओं का सम्मान किया जा सके और उसे पूरा किया जा सके.
तिरूमूर्ति ने कहा, म्यामार के रखाइन प्रांत से विस्थापित लोगों की बांग्लादेश से वापसी के मुद्दे को शीघ्र सुलझाने की दिशा में भारत पूरी कोशिश कर रहा है. म्यांमार का बांग्लादेश के साथ सबसे ज्यादा सीमा लगती है.
मसौदे में म्यांमार में तत्काल लोकतंत्र बहाली के संदेश
UNGA की शुक्रवार की बैठक में म्यांमार पर एक मसौदा स्वीकार किया गया. इस मसौदे के तहत कहा गया कि म्यांमार की सेना को लोगों की भावनाओं का सम्मान करना चाहिए जो कि 8 नवंबर 2020 को हुए आम चुनाव के परिणाम में निहित है. इसलिए लोगों के मानवाधिकारों के हित में तत्काल इमरजेंसी को समाप्त किया जाए और लोकतंत्रिक रूप से निर्वाचित संसद को चालू किया जाए. इसके अलावा म्यांमार में लोकतांत्रिक प्रक्रिया को बहाल करने के लिए जनता की इच्छाओं के अनुसार सभी तरह के राष्ट्रीय संस्थाओं को पूरी तरह से समावेशी नागरिक सरकार के तहत लाने की दिशा में काम करना चाहिए.
चीन, रूस ने भी वोट नहीं दिया
इस मसौदा प्रस्ताव को 119 देशों ने समर्थन दिया. सिर्फ एक देश बेलारूस ने इसका विरोध किया जबकि भारत सहित 35 देशों ने वोटिंग प्रक्रिया में भाग नहीं लिया. वोटिंग प्रक्रिया से हटने वाले देशों में भारत के अलावा चीन और रूस भी शामिल था. वोट नहीं देने के अपने फैसले को स्पष्ट करते हुए भारत ने कहा, हमने पाया कि आज जो मसौदा पास किया गया है, उसमें भारत के विचार शामिल नहीं है. हम यह दोहराना चाहेंगे कि यदि अंतरराष्ट्रीय समुदाय इस मुद्दे का शांतिपूर्ण समाधान निकालने के लिए तैयार है तो इसमें म्यांमार के पड़ोसी देशों और क्षेत्रों के परामर्शी और रचनात्मक दृष्टिकोण को अपनाना महत्वपूर्ण है.
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