नयी दिल्ली: न्यूक्लियर सप्लायर ग्रुप (NSG) की बैठक से पहले, भारत ने चीन के मित्र देशों से उसे इस मुद्दे पर राजी करने को कहा. भारत ने अपील की है कि देश को उसकी साख के आधार पर इस ग्रुप में एंट्री दी जाना चाहिए. हालांकि बीजिंग ने कहा कि NSG में सदस्यता के लिए भारत की दावेदारी ‘बहुत जटिल’ हो गई है. भारत ने पिछले साल मई में NSG में सदस्यता के लिए आधिकारिक रूप से आवेदन किया था. यह संगठन न्यूक्लियर से जुड़ी तकनीक के एक्सपोर्ट पर नियंत्रण करता है.
हमारा प्रयास इस मुद्दे पर चीन को राजी करना है: सुष्मा स्वराज
यह मामला पिछले साल जून में NSG के सोल समिट में विचार के लिए रखा गया था लेकिन बीजिंग ने भारत की दावेदारी को इस आधार पर रोक दिया कि उसने परमाणु अप्रसार संधि (Non Proliferation Treaty) पर हस्ताक्षर नहीं किये हैं. विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने कहा, ‘‘हमने चीन से हमेशा बातचीत की है और हम NSG के लिए भी ऐसा कर रहे हैं. और (यह) सिर्फ हम ही नहीं बल्कि हमारे मित्र देशों और चीन के साथ अच्छे संबंध वाले देशों ने भी ऐसा किया है. वो ऐसे देश हैं जिनका मानना है कि भारत को NSG की सदस्यता मिलनी चाहिए.’’
रूस का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि मास्को का मानना है कि भारत को NSG और UNSC का हिस्सा होना चाहिए. उन्होंने कहा, ‘‘हमें लगता है कि जबकि रूस और चीन के बीच अच्छे संबंध हैं, उसे चीन से बात करनी चाहिए. हम उनसे चीन पर दबाव बनाने के लिए नहीं बल्कि अपने अच्छे प्रभाव का प्रयोग करने को कह रहे हैं. हमारा प्रयास इस मुद्दे पर चीन को राजी करना और दोनों देशों के मित्र देशों को शामिल करना है.’’
गैर एनपीटी देशों को शामिल करने पर चीन की आपत्ति पर उन्होंने कहा कि जब फ्रांस को NSG में शामिल किया गया तब वो गैर एनपीटी देश था. उन्होने भरोसा जताया, ‘‘भारत को एक न एक दिन यह (NSG सदस्यता) हासिल करने में सफलता मिलेगी.’’ उन्होंने ये बयान ऐसे समय दिया जब चीन ने कहा कि NSG में भारत की सदस्यता का दावा ‘नई परिस्थितियों में’ ‘बहुत जटिल’ है.
सभी देशों के लिए एक नियम लागू होने चाहिए: चीन
चीन का कहना है कि एनपीटी पर हस्ताक्षर न करने वाले सभी देशों के लिए एक समान नियम लागू होने चाहिए. चीन 48 देशों वाले इस समूह में भारत की सदस्यता को रोकता रहा है. अधिकतर सदस्य देशों का समर्थन होने के बावजूद चीन भारत के सदस्य बनने का विरोध करता रहा है. नए सदस्यों के एंट्री के बारे में ग्रुप आम सहमति का तरीका अपनाता है.
चीन के सहायक विदेश मंत्री ली हुइलेई ने कहा, ‘‘NSG की बात की जाए तो यह नयी परिस्थितियों में एक नया मुद्दा है और यह पहले की तुलना में कहीं अधिक जटिल है.’’ हालांकि उन्होंने यह नहीं बताया कि नयी परिस्थितियां और जटिलताएं क्या हैं. उन्होंने कहा, ‘‘चीन गैर-पक्षपाती तरीके से लागू किए जा सकने वाले ऐसे उपाय के को बढ़ावा देता है, जो NSG के सभी सदस्यों पर लागू हो.’’
पाक ने भी किया था आवेदन
पाकिस्तान ने भी NSG की सदस्यता के लिए आवेदन किया था. हालांकि चीन ने खुले तौर पर तो पाकिस्तान की सदस्यता का समर्थन नहीं किया लेकिन वह एक दो चरणों वाला रुख लेकर आया है, जिसके मुताबिक, NSG के सदस्यों को एनपीटी पर हस्ताक्षर न करने वाले देशों को NSG में लेने से पहले कुछ नियम तय करने चाहिए. इसके बाद उन्हें किसी देश विशेष के मामले पर चर्चा को आगे बढ़ाना चाहिए.
चीन भारत के साथ अपने संबंधों को प्रगाढ़ करना चाहता है: हुआ चुनयिंग
पिछले महीने, चीनी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हुआ चुनयिंग ने मीडिया को बताया था कि एनपीटी पर हस्ताक्षर न करने वाले देशों को NSG में लेने के मुद्दे पर चीन के रुख में कोई बदलाव नहीं आया है. इस तरह उन्होंने NSG में भारत की एंट्री के मौके की बात को खारिज कर दिया. इस महीने स्विटजरलैंड के बर्न में होने वाले ज्वाइंट सेशन के दौरान NSG में भारत की एंट्री के बारे में पूछे जाने पर ली ने कहा, ‘‘एनपीटी पर हस्ताक्षर न करने वाले सदस्यों की NSG में भागीदारी के मुद्दे पर चीन का रुख बदला नहीं है.’’
आठ-नौ जून को अस्ताना में होने जा रहे शंघाई कोऑपरेशन ऑर्गनाइजेशन के सम्मेलन में चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग की भागीदारी के बारे में मीडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा कि चीन भारत के साथ अपने संबंधों को प्रगाढ़ करना चाहता है. उन्होंने कहा, ‘‘चीन और भारत अहम पड़ोसी हैं और दोनों तेजी से विकास कर रहे हैं, दोनों तेजी से उभरती नई बाजार अर्थव्यवस्थाएं हैं. दोनों शांति और स्थिरता की समर्थक अहम ताकतें हैं.’’
उन्होंने कहा, हाल के सालों में भारत और चीन के संबंध काफी तेज गति से विकसित हुए हैं. उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति शी और प्रधानमंत्री मोदी अपनी बैठकों के दौरान द्विपक्षीय सहयोग को गहराने के लिए और पहले से कहीं अधिक करीबी विकास भागीदारी बनाने के साझा प्रयास करने पर सहमत हुए हैं. शंघाई कोऑपरेशन ऑर्गनाइजेशन के सम्मेलन से जुड़ी अहम बात यह है कि भारत और पाकिस्तान इसके नए सदस्य हैं.
प्रधानमंत्री मोदी एससीओ सम्मेलन में हिस्सा लेंगे, जहां उनके पाकिस्तानी समकक्ष नवाज शरीफ के भी मौजूद होने की संभावना है. सम्मेलन से इतर मोदी शी से भी मुलाकात कर सकते हैं. हालांकि अधिकारियों का कहना है कि बैठक की पुष्टि नहीं हुई है. ली ने कहा कि छह सदस्यों वाले इस समूह में भारत और पाकिस्तान के आ जाने से यह समूह मजबूत होगा और इससे इस समूह की पहुंच मध्य एशिया से दक्षिण एशिया तक बनेगी.
चीन के मित्र देशों से भारत ने की NSG मामले को आगे बढ़ाने को अपील
एबीपी न्यूज़/एजेंसी
Updated at:
06 Jun 2017 11:36 AM (IST)
- - - - - - - - - Advertisement - - - - - - - - -