भारत और ऑस्ट्रेलिया ने रूस-यूक्रेन युद्ध पर चिंता जताते हुए शत्रुता को तत्काल खत्म किए जाने की आवश्यकता को रेखांकित किया है तथा जोर दिया है कि मौजूदा वैश्विक व्यवस्था संयुक्त राष्ट्र ‘चार्टर’, अंतरराष्ट्रीय कानून एवं राज्यों की संप्रभुता के सम्मान और क्षेत्रीय अखंडता पर आधारित है. विदेश मंत्रालय द्वारा मंगलवार को जारी संयुक्त बयान के अनुसार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके ऑस्ट्रेलियाई समकक्ष स्कॉट मॉरिसन ने सोमवार को डिजिटल शिखर सम्मेलन के दौरान इस बात पर जोर दिया.
मॉरिसन ने मोदी के साथ डिजिटल शिखर वार्ता में सोमवार को कहा कि रूस को यूक्रेन में जानमाल के नुकसान के लिए जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए तथा यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि इस तरह की 'भयावह घटनाएं' हिंद-प्रशांत क्षेत्र में कभी भी नहीं हों. संयुक्त बयान में कहा गया है कि दोनों नेताओं ने यूक्रेन में चल रहे संघर्ष एवं मानवीय संकट को लेकर गंभीर चिंता जतायी. दोनों प्रधानमंत्रियों ने शत्रुता को तत्काल खत्म करने की आवश्यकता दोहराई.
बयान में कहा गया है कि उन्होंने इस बात पर बल दिया कि मौजूदा वैश्विक व्यवस्था संयुक्त राष्ट्र ‘चार्टर’, अंतरराष्ट्रीय कानून और संप्रभुता के सम्मान और राज्यों की क्षेत्रीय अखंडता पर आधारित है. इसमें कहा गया है कि दोनों नेता इस मुद्दे और हिंद-प्रशांत पर इसके व्यापक प्रभावों के संबंध में करीबी रूप से जुड़े रहने पर सहमत हुए. शिखर बैठक के बाद विदेश सचिव श्रृंगला ने सोमवार को संवाददाताओं से कहा कि ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री यूक्रेन संकट पर भारत के रुख को समझते हैं. उन्होंने कहा कि मॉरिसन ने यूक्रेन संकट पर भारत के रुख को समझने की बात कही है.
उन्होंने कहा, ''दोनों पक्षों का मानना है कि यूरोप में जारी संघर्ष हम लोगों के लिए हिंद-प्रशांत क्षेत्र से ध्यान भटकाने का कारण नहीं बनना चाहिए.'' श्रृंगला ने कहा कि वार्ता के दौरान यूक्रेन के मौजूदा मानवीय हालात और संघर्ष को लेकर भी गंभीर चिंता जतायी गई और दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों ने यूक्रेन में शत्रुता एवं हिंसा को रोके जाने की आवश्यकता पर बल दिया. संयुक्त बयान में कहा गया है कि शिखर बैठक में दोनों नेताओं ने आसियान को केंद्र में रखते हुए स्वतंत्र, खुले और नियम-आधारित हिंद-प्रशांत के लिए साझा प्रतिबद्धता जतायी.
बयान में कहा गया है कि दोनों नेताओं ने ऐसे समावेशी और समृद्ध क्षेत्र के लिए अपनी प्रतिबद्धता जतायी जिसमें सभी राज्यों की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान किया जाता हो और देश सैन्य, आर्थिक और राजनीतिक दबाव से मुक्त हों. मोदी और मॉरिसन ने क्षेत्रीय स्थिरता और समृद्धि को बढ़ावा देने के लिए ‘क्वाड’ के सकारात्मक और महत्वाकांक्षी एजेंडे को आगे बढ़ाने में भारत, ऑस्ट्रेलिया, जापान और अमेरिका के बीच सहयोग के प्रति अपनी प्रतिबद्धता भी जतायी.
बयान में कहा गया है कि दोनों नेताओं ने मार्च 2022 में ‘क्वाड’ नेताओं की डिजिटल बैठक का स्वागत किया और आने वाले महीनों में अगली बैठक को लेकर उत्सुकता दिखायी. ‘क्वाड’ चार देशों का एक समूह है जिसमें भारत, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और जापान शामिल हैं. संयुक्त बयान के अनुसार, प्रधानमंत्री मोदी ने हिंद महासागर में समुद्री और आपदा तैयारियों, व्यापार, निवेश तथा संपर्क में ऑस्ट्रेलिया की बढ़ी हुई भागीदारी का स्वागत किया.
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