संयुक्त राष्ट्र में भारत ने ‘भारत-पाकिस्तान प्रश्न’ के ‘पुराने पड़ चुके विषय’ के तहत जम्मू कश्मीर के मुद्दे को सुरक्षा परिषद के एजेंडे से हमेशा के लिए हटाने का आह्वान किया है. पाकिस्तान पर परोक्ष रूप से निशाना साधते हुए भारत ने कहा कि यहां एक ऐसा प्रतिनिधिमंडल है जो अंतरराष्ट्रीय शांति में योगदान देने वाले के रूप में अपनी फिर से ब्रांडिंग करने की बार-बार कोशिश करता है लेकिन दुर्भाग्य से वह यह नहीं समझ पाता है कि दुनिया में यह अंतरराष्ट्रीय आतंक के मूलस्रोत और आतंकी सिंडिकट के केंद्र रूप में जाना जाता है.


सुरक्षा परिषद की वार्षिक रिपोर्ट पर पूर्ण अधिवेशन की अनौपचारिक बैठक के दौरान संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान के दूत मुनीर अकरम ने जम्मू कश्मीर का मुद्दा उठाया था और कहा था कि सुरक्षा परिषद जम्मू कश्मीर की स्थिति पर अपने ही प्रस्तावों और निर्णयों को लागू करवाने में नाकाम रहा है. उन्होंने कहा कि परिषद ने जम्मू कश्मीर की स्थिति पर गौर करने के लिए पिछले एक साल में तीन बार बैठक की है.


पाकिस्तान का नाम लिये बगैर भारत ने सोमवार को एक बयान में कहा कि ‘‘एक ऐसा प्रतिनिधिमंडल है जो अंतरराष्ट्रीय शांति में योगदान देने वाले के रूप में अपनी फिर से ब्रांडिंग करने की बार-बार कोशिश करता है लेकिन दुर्भाग्य से वह यह नहीं समझ पाता है कि दुनिया में यह अंतरराष्ट्रीय आतंक के मूलस्रोत और आतंकी सिंडिकट के केंद्र रूप में जाना जाता है.’’


"इस एजेंडे को हमेशा-हमेशा के लिए हटाने की जरूरत"
भारत ने ‘2019 के लिए सुरक्षा परिषद की रिपोर्ट’ पर कहा, ‘‘यह प्रतिनिधिमंडल परिषद में पुराने पड़ चुके विषय पर चर्चा पर जोर देता रहता है जिसे परिषद के एजेंडे से हमेशा हमेशा के लिए हटाने की जरूरत है.’’ भारत-पाकिस्तान प्रश्न विषय छह जनवरी, 1948 को एक औपचारिक बैठक में सुरक्षा परिषद में पहली बार उठा था तथा बाद में पांच नवंबर, 1965 को आखिरी बार इस पर विचार किया गया था.


चीन के सहयोग से पाकिस्तान सुरक्षा परिषद में जम्मू कश्मीर के मुद्दे पर चर्चा कराने का प्रयास करता रहा है. पिछले साल 16 अगस्त को परिषद ने बंद कमरे में इस पर चर्चा की थी लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला था.


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