India-Canada Row: US ने भारत- कनाडा राजनयिक विवाद से किया किनारा! कहा-'हमारे पास कोई जवाब नहीं'
India-Canada: हाल में भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा कि भारत में मौजूद कनाडा राजनयिकों की संख्या भारत की कनाडा में राजनयिकों की तुलना में अधिक है.
India-Canada Diplomatic Row: खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या को लेकर भारत और कनाडा के बीच विवाद चल रहा है. इसी कड़ी में भारत ने कनाडा को अपने 40 राजनयिकों को देश से वापस बुलाने के लिए समय सीमा दी है. इस पर कनाडाई PM जस्टिन ट्रूडो ने जवाब देते हुए कहा कि कनाडाई सरकार भारत में कनाडाई लोगों की मदद करना चाहती है. इस पर अमेरिका ने कहा कि वो राजनयिक स्टाफ स्तर से जुड़े मुद्दे पर चल रहे गतिरोध से अवगत है.
अमेरिका ने भारत और कनाडा के बीच चल रहे राजनयिक स्तर के विवाद में शामिल होने से मना कर दिया है. अमेरिकी विदेश विभाग के उप प्रवक्ता वेदांत पटेल ने कहा कि उन्हें नई दिल्ली में कनाडाई उच्चायोग के लिए राजनयिक स्टाफिंग स्तर पर रिपोर्ट मिली है. हालांकि, मेरे पास उन रिपोर्टों पर जवाब देने के लिए कुछ भी नहीं है. मैं निश्चित रूप से काल्पनिक बातों में नहीं पड़ता और न ही इस पर कोई कदम उठाना चाहता.
इंडो-पैसिफिक रणनीति के तहत काम
अमेरिका ने कहा कि हम इंडो-पैसिफिक रणनीति के तहत काम करते हुए फोकस किए हुए हैं. हमारा ये प्रयास जारी रहेगा. इस तरह से अमेरिका ने भारत-कनाडा राजनयिक संकट पर अपना रुख स्पष्ट कर दिया है. वहीं कुछ दिन पहले भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर वाशिंगटन में अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन से मिले थे. जहां पर अमेरिका ने कहा कि वह कनाडा की ओर से भारत पर लगाए गए आरोपों की जांच का समर्थन करता है और चाहता है कि भारत उसमें सहयोग करें.
हालांकि, इस पर भारत ने दोहराया कि आरोप निराधार हैं और कनाडा ने इस संबंध में कोई विशेष जानकारी नहीं दी है. वहीं कनाडा ने कहा कि उसने कई सप्ताह पहले भारत के साथ जानकारी साझा की थी.
इसी बीच अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद में कॉर्डिनेटर जॉन किर्बी ने कहा कि एस जयशंकर और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सुलिवन के बीच कनाडा मामले को लेकर मंगलवार (3 अक्टूबर) को चर्चा हुई है. किर्बी ने कहा, "हम निश्चित रूप से इसे उन दोनों देशों पर छोड़ देंगे कि वे अपने द्विपक्षीय संबंधों के बारे में बात करें.''
भारत ने कनाडा को दी चेतावनी
हाल में भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा कि भारत में मौजूद कनाडा राजनयिकों की संख्या भारत की कनाडा में राजनयिकों की तुलना में अधिक है. इसके अलावा विदेश मंत्रालय ने कनाडाई राजनयिकों पर भारत के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप का आरोप लगाया.
इसी पर भारत ने कनाडा से 10 अक्टूबर तक अपने 62 राजनयिकों में से 41 को हटाने के लिए चेतावनी दे दी. इस फैसले के बाद कनाडाई पीएम ट्रूडो ने कहा कि उनकी सरकार कनाडा के परिवारों की मदद के लिए भारत में आगे आना चाहती है. उन्होंने दोहराया कि कनाडा भारत को उकसाने की कोशिश नहीं कर रहा है.
कनाडा की विदेश मंत्री का बयान
कनाडा की विदेश मंत्री मेलानी जोली ने कहा कि राजनयिकों की वापसी के अनुरोध के संबंध में कनाडा भारत के साथ निरंतर बातचीत कर रहा है. उन्होंने कहा कि ये तनाव के पल है. वास्तव में दोनों सरकारों के बीच तनाव है. यह पहले से कहीं अधिक महत्वपूर्ण है कि राजनयिक अपनी जगह पर रहें और इसलिए हम भारत में एक मजबूत राजनयिक महत्व का विश्वास करते हैं."
उन्होंने इस बात पर जोर देते हुए कहा कि कनाडा भारत के साथ निजी बातचीत करना चाहता है. भारत ने पहले ही कनाडा में वीजा सेवाओं पर प्रतिबंध लगा दिया है और कई बार सतर्क किए जाने के बावजूद कनाडा पर आतंकवादियों को पनाह देने का आरोप लगाया है.
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