India-Canada Diplomatic Row:  कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो की ओर से खालिस्तान समर्थक सिख नेता की हत्या में भारतीय सरकारी एजेंटों के शामिल होने के आरोप लगाने के बाद बेशक दोनों देशों के बीच संबंध खराब हुए हों, लेकिन इस घटना ने वैश्विक स्तर पर भारत की ताकत को जरूर जगजाहिर कर दिया है.


कनाडा को इन आरोपों पर उसके ही मित्र देशों का साथ नहीं मिल रहा है. ये भारत के वैश्विक संबंध ही हैं जिसने इस विवाद में कनाडा को पूरी दुनिया में अलग-थलग कर दिया है. कनाडा को न तो अमेरिका का साथ मिल पाया है और न ही ब्रिटेन का. आइए जानते हैं कैसे कनाडा इस मुद्दे पर अलग-थलग पड़ गया है.


फाइव आइज इंटेलिजेंस ने भी नहीं मानी बात!


कनाडा के पीएम ने भारत पर आरोप लगाने के बाद अपने फाइव आइज़ इंटेलिजेंस शेयरिंग गठबंधन जैसे प्रमुख सहयोगियों के साथ इस मामले पर चर्चा की. इसमें संयुक्त राज्य अमेरिका, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड भी शामिल हैं. उसे उम्मीद थी कि ये सभी देश उसके साथ खड़े होंगे और भारत की इस मामले में निंदा करेंगे. पर ऐसा कुछ नहीं हुआ. उसे इनमें से किसी भी देश का साथ नहीं मिला.


ब्रिटेन ने इस मामले में क्या कहा


इस मामले में ब्रिटेन ने सार्वजनिक रूप से भारत की आलोचना करने से इनकार कर दिया है. उसका कहना है कि भारत और ब्रिटेन के बीच द्विपक्षीय व्यापार वार्ता योजना के अनुसार जारी रहेगी. लंदन में चैथम हाउस थिंक टैंक के भारत विशेषज्ञ चिटिग बाजपेयी ने कहा, "इस मामले में भारत की संलिप्तता के कोई निश्चित सबूत नहीं होने के कारण, मुझे लगता है कि ब्रिटेन इसमें मौन ही रहेगा."


अमेरिका ने भी लिया भारत का पक्ष


व्हाइट हाउस के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जॉन किर्बी ने कहा कि संयुक्त राज्य अमेरिका ने जी-20 शिखर सम्मेलन के दौरान भी कनाडा को इस मुद्दे पर समझाया था. कनाडा के आरोपों को भी अमेरिका ने खारिज कर दिया है और भारत के साथ समन्वय और परामर्श करना जारी रखने की बात कही है. विशेषज्ञ भी कहते हैं कि भारत-कनाडा राजनयिक विवाद बढ़ने पर अमेरिका इस मामले में बाहर रहने की कोशिश करेगा.


फाइव आईज पार्टनर ने क्या कहा


वाटरलू, ओंटारियो में सेंटर फॉर इंटरनेशनल गवर्नेंस इनोवेशन थिंक टैंक के वेस्ले वार्क ने कहा, “चीन के साथ चल रहे तनाव के संदर्भ में भारत के साथ संबंधों को आगे बढ़ाने में हर किसी की रुचि को देखते हुए, हमारे फाइव आईज़ पार्टनर वास्तव में इस विवाद में शामिल होने में अनिच्छुक हैं. यह थोड़ा इंतजार करने वाला खेल है. अगर कनाडा के आरोपों को लेकर ठोस सबूत मिलते हैं तो ही हम कुछ बोलेंगे.”


कनाडा के पास नहीं हैं विकल्प


कनाडा ने अपने मित्र देशों और सहयोगी दलों से इस मामले में सहयोग मांगा, लेकिन ये देश भारत की किसी भी प्रकार की संयुक्त निंदा पर विचार करने को तैयार नहीं हैं, इसलिए कनाडा के पास अब तब तक सीमित विकल्प हैं, जब तक कि वह भारत के खिलाफ ठोस सबूत नहीं देता है.


क्यों भारत के खिलाफ नहीं जाना चाह रहे देश


बात अमेरिका की हो या ब्रिटेन की या फिर यूरोप के दूसरे देशों की. इनमें से अधिकतर देश चीन के बढ़ती ताकत और उसकी नीतियों से परेशान हैं. चीन को रोकने के लिए भारत के अलावा कोई और दूसरा विकल्प उन्हें नजर नहीं आता है. ओटावा के कार्लटन विश्वविद्यालय में अंतरराष्ट्रीय संबंधों की प्रोफेसर स्टेफ़नी कार्विन का कहना है कि चीन को संतुलित करने के लिए अमेरिका और अन्य पश्चिमी देशों के लिए भारत ही महत्वपूर्ण है न कि केवल 40 मिलियन आबादी वाला कनाडा. यही वजह है कि  कूटनीतिक रूप से कनाडा गंभीर रूप से पिछड़ गया है.


कनाडा के पीएम ने लगाए थे ये आरोप


बता दें कि कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने 18 सितंबर 2023 को कनाडा के संसद में आरोप लगाया था कि जून 2023 में खालिस्तानी समर्थक हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारतीय एजेंट का हाथ है. जस्टिन ने तब इससे जुड़े सबूत होने का दावा भी किया था. इसके तुरंत बाद कनाडा ने भारत के एक टॉप डिप्लोमैट को निष्कासित कर दिया था.


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