India Canada Relations: खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या को लेकर भारत से बैर किए बैठे कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो की भाषा पीएम नरेंद्र मोदी की सख्ती के बाद बदलने लगी है. ताजा घटनाक्रम में ट्रूडो ने कबूल किया है कि निज्जर किलिंग केस में कनाडा के पास कोई पुख्ता सबूत नहीं थे, बल्कि खुफिया जानकारी ही थी.


इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, जस्टिन ट्रूडो ने बुधवार (16 अक्टूबर) को मान लिया है कि उनकी सरकार ने कनाडा की धरती पर खालिस्तानी आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के संबंध में भारत को वास्तविक सबूत नहीं दिए. विदेशी हस्तक्षेप जांच के सामने गवाही देने वाले ट्रूडो ने कहा कि कनाडा ने भारत पर निज्जर की हत्या का सार्वजनिक रूप से आरोप लगाने से पहले केवल खुफिया जानकारी दी थी, कोई सबूत नहीं दिया था. 


'हमने भारत से सहयोग करने के लिए कहा'


ट्रूडो ने कहा, "कनाडा ने भारत से सहयोग करने को कहा. उनका (भारत का) अनुरोध सबूत मांगना था. हमने भारतीय सुरक्षा एजेंसियों से आगे की जांच करने और हमारे साथ सहयोग करने को कहा. क्योंकि उस समय हमारे (कनाडा के) पास खुफिया जानकारी थी."


उन्होंने कहा, "मैंने जी-20 के आखिरी में पीएम मोदी के समक्ष यह मुद्दा उठाया था और बताया था कि हम जानते हैं कि भारत इसमें शामिल है. उन्होंने कहा कि कनाडा में कई लोग भारत सरकार के खिलाफ बोलते हैं और वह चाहते हैं कि इन लोगों को गिरफ्तार किया जाए."


ट्रूडो ने कहा कि जब वे जी-20 शिखर सम्मेलन के बाद भारत से कनाडा लौटे तो "यह स्पष्ट था कि भारत सरकार का दृष्टिकोण हमारी और हमारे लोकतंत्र की अखंडता की आलोचना करना था."


ट्रूडो ने लिया लॉरेंस बिश्नोई का नाम


ट्रूडो ने समिति के सामने अपना दावा फिर से दोहराया कि इस बात के "विश्वसनीय सबूत" हैं कि निज्जर की हत्या में भारतीय एजेंट शामिल थे. उन्होंने गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई का भी नाम लिया, जिसका उल्लेख पहले रॉयल कैनेडियन माउंटेड पुलिस (आरसीएमपी) ने निज्जर की हत्या में शामिल होने के लिए किया था. ट्रूडो ने आरोप लगाया कि भारतीय राजनयिक कनाडाई लोगों के बारे में जानकारी इकट्ठा कर रहे थे और लॉरेंस बिश्नोई गिरोह को दे रहे थे.


भारत ने दिखाई सख्ती


मौजूदा कूटनीतिक विवाद उस समय और बढ़ गया जब भारत ने सोमवार देर शाम ओटावा में अपने शीर्ष दूत को वापस बुला लिया और छह कनाडाई राजनयिकों को देश से निष्कासित कर दिया. 


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