भारत-कनाडा तनाव का असर दोनों देशों के रिश्तों पर देखने को मिल रहा है. कनाडा के एक शीर्ष अधिकारी ने ये जानकारी दी है कि भारतीय छात्रों को जारी किए गए परमिट में भारी गिरावट दर्ज की गई है.
न्यूज एजेंसी रॉयटर्स को दिए एक साक्षात्कार में कनाडाई शीर्ष अधिकारी ने कहा है कि ऐसा दो वजहों से हुआ है. पहली वजह है भारत द्वारा परमिट की प्रक्रिया करने वाले कनाडाई राजनयिकों को निकालना और दूसरी वजह ये है कि कम भारतीय छात्रों ने आवेदन किया था. दरअसल दोनों देशों के बीच खालिस्तानी आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या को लेकर तनावपूर्ण स्थिति बनी हुई है. कनाडा ने भारत पर निज्जर की हत्या का आरोप लगाया था जिसके बाद दोनों देशों में रिश्ते खराब हो गए.
अभी दोनों देशों के बीच जिस तरह के रिश्तें हैं उसे देखते हुए छात्रों की संख्या बढ़ने की उम्मीद भी नहीं जताई जा रही है. कनाडा के इमिग्रेशन मंत्री मार्क मिलर ने भी इसको लेकर आशंका जताई है. उन्होंने कहा है कि भारतीय छात्रों के स्टडी परमिट की संख्या जल्द ही बढ़ने की संभावना नहीं है.
कनाडा ने लगाया था भारत पर आरोप
आज से 2 महीना पहले कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने 18 सितंबर को हाउस ऑफ कॉमन्स में आरोप लगाया कि निज्जर की हत्या के पीछे भारत सरकार के एजेंट थे. जैसे ही पीएम ने ये आरोप लगाए कनाडा ने व्यापक आर्थिक साझेदारी समझौते पर चल रही व्यापार वार्ता को सस्पेंड कर दिया, भारतीय राजनयिक पवन कुमार राय को निष्कासित कर दिया और भारत से निज्जर मामले में जांच में मदद करने को कहा.
हालांकि, भारत ने आरोपों से इनकार किया और 41 राजनयिकों को निष्कासित करके और कनाडा में वीज़ा सेवाओं को रोककर जवाबी कार्रवाई की. तब से पीएम ट्रूडो ने निज्जर की हत्या में भारत की कथित भूमिका पर समय-समय पर बयान देकर अपनी आक्रामकता बढ़ा दी है. जबकि, भारत ने बार-बार कहा है कि उसे कनाडा की तरफ से कोई विश्वसनीय सबूत नहीं दिया गया है.