India-China Conflict: चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग (XI Jinping) ने हाल ही में पांच वर्षों के लिए देश की कमान संभाली है. इसके बाद इस महीने की शुरुआत में अरुणाचल प्रदेश के यांग्त्से में भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच हुई झड़प के बाद दोनों देशों के रिश्तों पर जमी बर्फ के नए साल में पिघलने के आसार कम ही हैं. चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के वर्ष 2020 में पूर्वी लद्दाख में यथास्थिति को बदलने की कोशिशों के बाद से बीजिंग और नई दिल्ली के रिश्ते तनावपूर्ण हो गए हैं.
यांग्त्से में चीन के सैकड़ों सैनिकों ने लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (एलएसी) के इस पार भारतीय सीमा में अतिक्रमण करने की कोशिश की थी. इसके बाद दोनों देशों के सैनिकों के बीच हुई झड़प से रिश्तों में आई कड़वाहट को दूर करने के प्रयास प्रभावित हो सकते हैं. दोनों देश हाल ही में 16 दौर की बातचीत के जरिये पूर्वी लद्दाख में कई बिंदुओं से सैन्य वापसी पर सहमति बनाने में कामयाब रहे थे.
झड़प में दोनों पक्षों के कुछ सैनिकों को आई हैं चोटें
अरुणाचल प्रदेश के तवांग सेक्टर के यांग्त्से में नौ दिसंबर को हुई झड़प पर संसद में दिए बयान में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा था, भारतीय सेना ने बहादुरी से पीएलए को हमारे क्षेत्र में अतिक्रमण करने से रोका और उन्हें अपनी चौकियों पर वापस जाने के लिए मजबूर किया. इस झड़प में दोनों पक्षों के कुछ सैनिकों को चोटें आई हैं.
चीनी विदेश मंत्रालय ने जहां भारत के साथ सीमा पर स्थिति सामान्य स्थिर होने की बात कही थी, वहीं पीएलए के पश्चिमी थिएटर कमान के प्रवक्ता एवं वरिष्ठ कर्नल लॉन्ग शाओहुआ ने एक बयान में दावा किया था कि संघर्ष उस समय हुआ, जब भारतीय सैनिकों ने एलएसी पर चीनी सीमा में नियमित गश्त कर रहे उनके जवानों को रोका.
यांग्त्से की घटना राजनीतिक रूप से भी है अहम
पर्यवेक्षकों का कहना है कि पीएलए का बयान संकेत देता है कि चीनी सेना 3,488 किलोमीटर लंबी गैर-सीमांकित एलएसी पर प्रमुख बिंदुओं पर कब्जा करने के लिए सैकड़ों सैनिकों को गश्त पर भेजने की अपनी लद्दाख में अपनाई गई रणनीति जारी रख सकती है. जून 2020 में गलवान घाटी में भारत और चीन के सैनिकों के बीच हिंसक झड़प के बाद दोनों देशों के जवानों में हुई सबसे बड़ी झड़प थी. गलवान में झड़प के बाद भारत और चीन के रिश्तों में दरार बढ़ गई थी.
भारत ने स्पष्ट किया कि सीमा पर शांति और सद्भाव विकास के लिए अनिवार्य है. यांग्त्से की घटना राजनीतिक रूप से भी अहम है, क्योंकि यह अक्टूबर में राष्ट्रपति जिनपिंग के अभूतपूर्व रूप से पांच साल के तीसरे कार्यकाल के लिए चुने जाने के बाद भारत-चीन सीमा पर हुई पहली बड़ी घटना थी.
जिनपिंग के तीसरे कार्यकाल में चीन में नए मंत्री और अधिकारी भी अहम पद संभालते नजर आएंगे. इनमें एक नए विदेश मंत्री की नियुक्ति शामिल है, क्योंकि मौजूदा समय में इस पद को संभाल रहे वांग यीन को प्रमोट करके सीपीसी के उच्च स्तरीय राजनीतिक ब्यूरो में भेज दिया गया है.
चीन को भारत के संबंध में नीति पर करना चाहिए पुनर्विचार
अगले साल मार्च में चीन की संसद ‘नेशनल पीपुल्स कांग्रेस’ के वार्षिक सत्र के बाद नया मंत्रिमंडल और अधिकारी अपना कार्यभार संभालेंगे. पर्यवेक्षकों का कहना है कि चीन को भारत के संबंध में अपनी नीति पर पुनर्विचार करना चाहिए वरना चीन ऐसे समय में दिल्ली के साथ झड़प में उलझा रहेगा, जब ‘शून्य-कोविड’ नीति के चलते उसकी अर्थव्यवस्था बेहद मुश्किल दौर से गुजर रही है. इसके साथ ही ताइवान एवं दक्षिण चीन सागर से जुड़े विवादों को लेकर बीजिंग और वॉशिंगटन के बीच तनाव लगातार बढ़ रहा है.
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