India China Relations: भारत-चीन सीमा विवाद पर बीजिंग में हुई बैठक, बॉर्डर एरिया से सैनिकों के पीछे हटने पर हुई बात
India-China Border Dispute: भारत और चीन के बीच लंबे समय से चले आ रहे सीमा विवाद को लेकर एक बार फिर बीजिंग में बैठक हुई जिसमें सैनिकों को हटाने के साथ-साथ अन्य मुद्दों पर भी चर्चा की गई.
India China Talk: बॉर्डर पर तनाव के बीच भारत-चीन सीमा मामलों पर परामर्श और समन्वय के लिए कार्य तंत्र की 29वीं बैठक हुई और दोनों पक्षों ने इसमें वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएएसी) से पूरी तरह से सैनिकों को हटाने और शेष मुद्दों को हल करने पर विचार-विमर्श किया. विदेश मंत्रालय ने गुरुवार (28 मार्च) को एक बयान में यह जानकारी दी.
बयान में कहा गया है कि यह महत्वपूर्ण बैठक 27 मार्च को बीजिंग में हुई. मंत्रालय ने कहा कि दोनों पक्षों ने इस बारे में गहन विचार-विमर्श किया कि भारत-चीन सीमावर्ती क्षेत्रों के पश्चिमी सेक्टर में एलएसी से पूरी तरह से सैनिकों की वापसी कैसे हो और शेष मुद्दों को हल किया जाए. विदेश मंत्रालय के संयुक्त सचिव (पूर्वी एशिया) ने भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व किया.
बैठक में इन बातों पर बनी सहमति
बयान में कहा गया है कि चीनी प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व चीनी विदेश मंत्रालय के सीमा और महासागरीय विभाग के महानिदेशक ने किया. बयान में कहा गया है, “अंतरिम तौर पर, दोनों पक्ष राजनयिक और सैन्य माध्यमों से नियमित संपर्क में रहने और मौजूदा द्विपक्षीय समझौतों तथा प्रोटोकॉल के अनुसार सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति बनाए रखने की आवश्यकता पर सहमत हुए.”
इसमें कहा गया है, "दोनों पक्षों ने भारत-चीन सीमा क्षेत्रों के पश्चिमी क्षेत्र में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के साथ शेष मुद्दों को हल करने के बारे में विचारों का गहन आदान-प्रदान किया." बैठक के बाद, दोनों पक्ष सीमावर्ती क्षेत्रों में जमीन पर शांति बनाए रखने के लिए राजनयिक और सैन्य चैनल खोलने पर सहमत हुए. भारत-चीन सीमा मामलों पर परामर्श और समन्वय के लिए कार्य तंत्र की 28वीं बैठक पिछले साल 30 नवंबर को हुई थी.
भारत ने चीन के दावों को किया खारिज
इस बीच, भारत ने अरुणाचल प्रदेश पर चीन की ओर किए गए बेतुके दावों और निराधार तर्कों को फिर से खारिज कर दिया और कहा कि पूर्वोत्तर राज्य भारत का अभिन्न और अविभाज्य हिस्सा है. विदेश मंत्रालय ने 19 मार्च को एक आधिकारिक बयान में कहा कि अरुणाचल प्रदेश के लोगों को भारत के विकास कार्यक्रमों और बुनियादी ढांचा परियोजनाओं से लाभ मिलता रहेगा.
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