India China relation : भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर के बयान पर चीन फिर बौखला गया. चीन ने भारत पर अपनी कंपनियों को परेशान करने का आरोप लगाया. दरअसल, विदेश मंत्री एस जयशंकर ने मेक इंडिया को लेकर बयान दिया था. जयशंकर ने शुक्रवार को कहा था कि भारतीय कंपनियों को चीन के साथ व्यवहार करते समय राष्ट्रीय सुरक्षा के फिल्टर का उपयोग करना चाहिए. उन्होंने जोर दिया कि इसका मतलब यह नहीं है कि चीन से कुछ भी नहीं मंगाया जा सकता है, लेकिन अगर आपके पास कोई भारतीय विकल्प उपलब्ध है तो हम चाहेंगे कि आप भारतीय कंपनियों के साथ काम करें. मुझे लगता है कि यह हमारी राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए अच्छा है.
इस पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए चीन के अखबार ग्लोबल टाइम्स ने लिखा, राष्ट्रीय सुरक्षा का फिल्टर बयानबाजी को भारतीय उत्पादों और मेक इन इंडिया के समर्थन के तरीके के रूप में देखा जा सकता है. यह घरेलू उद्योगों की सुरक्षा के लिए भारत सरकार के संकल्प को उजागर करता है, लेकिन बाजार को सीमित करने और व्यापार बाधा डालने से भारत के आर्थिक हितों पर भी इसका नकारात्मक असर पड़ेगा.
अपनी कंपनियों को धमकाने का लगाया आरोप
ग्लोबल टाइम्स ने कहा, संरक्षणवादी नीतियों को लेकर भारत का यह कदम अंतरराष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा, चीन के सामने विनिर्माण और औद्योगिक आधार की कमजोरी के बारे में चिंताओं को दर्शाता है. चीन से आयात को प्रतिबंधित करने के भारत सरकार के प्रयासों के बावजूद चीन भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार है। 2023-24 में भारत और चीन का द्विपक्षीय व्यापार कुल 118.4 बिलियन डॉलर था. ग्लोबल टाइम्स ने भारत पर चीनी कंपनियों को परेशान करने का भी आरोप लगाया. चीन ने कहा, भारत लापरवाही से संरक्षणवाद अपना सकता है और राष्ट्रीय सुरक्षा की आड़ में चीनी कंपनियों पर दबाव डाल सकता है. भारत के लिए अपने घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देने और संरक्षणवादी नीतियों में शामिल होने के बीच संतुलन बनाना महत्वपूर्ण है, जो आर्थिक प्रगति में बाधा बन सकते हैं. उसने अपनी कंपनियों को धमकाने का आरोप लगाया.
उसने आगे लिखा कि जब भारत ने 2014 में मेक इन इंडिया पहल शुरू की तो इसका लक्ष्य उस समय के 16 प्रतिशत से 2025 तक विनिर्माण को सकल घरेलू उत्पाद का 25 प्रतिशत तक बढ़ाना था. फिर भी पिछले एक दशक में स्मार्टफोन और इलेक्ट्रॉनिक्स क्षेत्रों में बड़ी जीत के बावजूद देश अपने लक्ष्यों से बहुत पीछे है. हाल के वर्षों में सकल घरेलू उत्पाद में विनिर्माण का अनुपात लगभग 17 प्रतिशत पर अटका हुआ है.