नई दिल्ली: भारत ने अभी बीते दिनों ड्रैगन यानी चीन के पंजे में फंसे पड़ोसी मुल्क मालदीव की ओर मदद का बड़ा हाथ बढ़ाया है. पिछली सरकार ने ख़ुद को लगभग चीन के पास गिरवी रख दिया था. ऐसे में उसकी अर्थव्यवस्था तार-तार हो गई. अब जब नई सरकार ख़ुद को चीन के चंगुल से बाहर निकाल रही है तो भारत ने इब्राहिम मोहम्मद सालेह की सरकार को 1.4 बिनियन डॉलर (98,24,43,00,000 रुपए) की मदद की है. इसे एक तरीके के बेलआउट के तौर पर भी देखा जा रहा है.
इसी के साथ दोनों देशों ने हिंद महासागर में सुरक्षा सहयोग को व्यापक तौर पर बढ़ान का भी संकल्प लिया है. दोनों देशों ने चार संधियों पर भी दस्तख़त किए जिनमें वीज़ा से जुड़ी संधि भी शामिल है. प्रधान मंत्री मोदी ने सालेह के साथ अपने प्रेस वक्तव्य में कहा, "हमने एक सौहार्दपूर्ण वातावरण में सफल बातचीत का आयोजन किया. हमने संबंधों को मजबूत करने की कसम खाई है."
प्रधानमंत्री ने ये भी कहा कि दोनों देशों के सुरक्षा हित आपस में जुड़े हुए हैं और हिंद सहासागर में सुरक्षा की स्थिति को बेहतर बनाने के लिए दोनों देश आपसी सहयोग करेंगे. पीएम मोदी ने ज़ोर देकर कहा कि हम ऐसी गतिविधियों को बढ़ावा नहीं देंगे जो दोनों देशों के हितों को नुकसान पहुंचाए. पीएम ने जानकारी दी कि 1.4 बिलियन डॉलर की रकम बजट समर्थन, करेंसी अदला-बदली और सामाजिक-आर्थिक विकास के लिए लाइन ऑफ क्रेडिट के तौर पर दी जा रही है.
पीएम ने ये भी कहा, "हम मालदीव के साथ बेहतर संबंध चाहते हैं और इस द्वीप वाले देश में भारतीय कंपनियों के लिए काफी अवसर हैं." अपनी ओर से मालदीव के राष्ट्रपति सालेह ने कहा कि दोनों पक्ष साथ गश्ती और हवाई निगरानी के माध्यम से हिंद महासागर क्षेत्र में समुद्री सुरक्षा सहयोग को मजबूत करने पर सहमत हुए हैं. सालेह तीन दिनों के विदेश दौरे पर रविवार को भारत आए थे. पिछले महीने राष्ट्रपति चुने जाने के बाद ये उनका पहला विदेशी दौरा था.
आपको बता दें कि 17 नवंबर को मोदी ने सालेह के शपथ ग्रहण समारोह में हिस्सा लिया था. विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने भी राष्ट्रपति सालेह से द्विपक्षीय और आपसी हितों के क्षेत्रीय मुद्दों पर चर्चा की. आपको बता दें कि इस साल 5 फरवरी को देश के पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल्ला यमीन ने देश में आपातकाल लगा दिया था जिससे भारत और मालदवी के संबंध खटाई में पड़ गए. 45 दिनों तक रहे इस आपातकाल को लेकर भारत ने मालदीव की आलोचना की थी और लोकतंत्र बहाल करने की अपील भी की थी.
आपको ये भी बता दें कि भारत का एक और पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान एक बार फिर वास्तविक बेलआउट की स्थिति में फंस गया है. इसके लिए उसने एक बार फिर इंटरनेशनल मॉनिटरी फंड (आईएमएफ) के सामने अपनी झोली फैलाई है. लेकिन चीन के सीपेक यानी बीआरआई के निवेश के पंजे में फंसे इस देश को बेलआउट देने से आईएमएफ कतराता दिख रहा है. बड़ी बात ये भी है कि ये पहला मौका नहीं है जब पाकिस्तान को बेलआउट का सामना करना पड़ रहा है. ये देश इससे पहले आधा दर्जन बार से ज़्यादा बार बेलआउट ले चुका है.
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