India Gdp Growth : भारत की जीडीपी ग्रोथ को लेकर दुनियाभर की रेटिंग एजेंसियां भी चौंक रही हैं. अभी IMF और वर्ल्ड बैंक ने भारत की ग्रोथ को लेकर पॉजिटिव रेटिंग दी थी. अब संयुक्त राष्ट्र ने कह दिया कि भारत की रफ्तार हमारी सोच से भी ज्यादा तेज है. यूएन का मानना है कि साल 2024 में भारत की विकास दर पहले लगाए अनुमान से भी आगे निकल जाएगी. संयुक्त राष्ट्र ने पहले जनवरी में 2024 के लिए भारत की विकास दर का अनुमान 6.2 फीसदी लगाया था. अब इसे 0.7 पॉइंट बढ़ा दिया है. अब कहा गया कि 2024 में भारतीय अर्थव्यवस्था 6.9 फीसदी तो 2025 में 6.6 फीसदी की दर से आगे बढ़ सकती है. संयुक्त राष्ट्र ने भारत की विकास दर बढ़ने के पीछे 2 सबसे बड़े कारण बताए हैं. पहला भारत में आता बड़ा निवेश और दूसरा प्राइवेट सेक्टर की खपत. दरअसल, संयुक्त राष्ट्र ने '2024 के मध्य में विश्व आर्थिक स्थिति और संभावनाएं' शीर्षक से रिपोर्ट जारी की है. इसमें कहा कि 2024 में भारतीय अर्थव्यवस्था 6.9 फीसदी तो 2025 में 6.6 फीसदी की दर से आगे बढ़ सकती है. इसका मुख्य कारण सरकार के भारी निवेश और निजी खपत बढ़ना है. दुनिया की मांग बढ़ने और भारत के निर्यात से ग्रोथ को और तेजी मिलती है. आने वाले समय में फार्मा और केमिकल सेक्टर से निर्यात बढ़ने की बहुत संभावनाएं हैं.
पहले 6.2 फीसदी का था अनुमान
इससे पहले यूएन ने जनवरी में 2024 के लिए भारत की विकास दर का अनुमान 6.2 फीसदी लगाया था. तब मैन्युफैक्चरिंग और सर्विस सेक्टर में सबसे ज्यादा ग्रोथ दिखेगी ऐसा यूएन को लग रहा था. हालांकि, 2025 के लिए यूएन का अनुमान पहले की तरह 6.6 फीसदी पर बरकरार है. भारत में महंगाई पर भी काबू पा लिया गया है. 2024 के लिए खुदरा महंगाई दर का अनुमान पहले के 5.6 फीसदी से घटाकर 4.5 फीसदी कर दिया गया है. एशिया में सबसे कम महंगाई दर मालदीव में 2.2 फीसदी और सबसे ज्यादा ईरान में 33.6 फीसदी है.
जानें चीन और अमेरिका का हाल
2024 में वर्ल्ड इकनॉमी की ग्रोथ रेट 2.7 फीसदी रहने का अनुमान संयुक्त राष्ट्र ने लगाया है, जो पहले 2.4 फीसदी का अनुमान था. 2025 का अनुमान भी 0.1 फीसदी बढ़ाकर 2.8 फीसदी कर दिया है. अमेरिकी अर्थव्यवस्था के 2024 में 2.3 फीसदी की दर बढ़ने की संभावना है. चीन की अर्थव्यवस्था भी 2024 में सिर्फ 4.8 फीसदी और 2025 में 5.2 फीसदी की विकास दर हासिल कर सकती है. यूएन ने कहा है कि सरकार कैपिटल इनवेस्टमेंट बढ़ा रही और राजकोषीय घाटे को कम करने पर पूरा जोर दे रही है. एनर्जी की बढ़ती कीमत और दुनिया में बढ़ते संकट की वजह से कुछ चुनौतियां भी सामने हैं. लेकिन कोरोना के बाद दुनिया की मांग बढ़ रही है. ऐसे में निर्यात करने वाले देशों को इसका फायदा होगा.