India-China Relations: भारत की 'तीसरी आंख' से अब चीन का बचना मुश्किल! सैकड़ों किलोमीटर दूर से 'ड्रैगन' पर नजरें रखेगा इंडिया, जानें सबकुछ
India-China Relations: HAPS टेस्टिंग के दौरान लगातार 21 घंटे तक उड़ते रहा. ये भारत के ड्रोन विंगमैन कार्यक्रम का एक हिस्सा है, जो 2024 में अपनी पहली उड़ान भरने वाला है.
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India Keep Eye On China Through HAPS: इस वक्त भारत दुनिया के नक्शे पर अपनी ताकत का लोहा मनवाने में पीछे नहीं हट रहा है. इसी क्रम में भारत ने एक उपलब्धि हासिल कर ली है. भारत अपनी सबसे मजबूत प्रतिद्वंद्वी चीन के ऊपर निगरानी रखने के लिए हाई एल्टिट्यूड वाले प्लेटफ़ॉर्म सिस्टम (HAPS) को आसमानों की ऊंचाई पर स्थापित करने के करीब पहुंच गया है. इसकी मदद से हिमालय की ऊंचाइयों पर चीनी सैनिकों के साथ लगातार होने वाले टकराव में भारत की स्थिति को मजबूत करने के काम आएगा. इससे पहले आईएसआर की खामियों ने भारत को कमजोर साबित किया, जो अब HAPS के आने से खत्म हो जाएगी.
हाई एल्टिट्यूड वाले प्लेटफ़ॉर्म सिस्टम (HAPS) ने टेस्टिंग के दौरान लगातार 21 घंटे तक उड़ते रहा. ये भारत के ड्रोन विंगमैन कार्यक्रम का एक हिस्सा है, जो 2024 में अपनी पहली उड़ान भरने वाला है. HAPS एक दूर से ऑपरेट करने वाला प्लेन है, जो 65,000 फीट की ऊंचाई पर उड़ सकता है. ये सौर्य ऊर्जा की मदद से उड़ता है. ये धरती के चारो तरफ उड़ने वाले सैटेलाइट और स्ट्रेटोस्फियर के अंदर उड़ने वाले ड्रोन के बीच में पैदा होने वाले दूरी को कम करने के काम आएगा. इसकी वजह से ये बिना किसी रूकावट के महीनों तक घूम सकता है.
HAPS कम लागत में रखेगा निगरानी
हाई एल्टिट्यूड वाले प्लेटफ़ॉर्म सिस्टम (HAPS) रीपर जैसे हाई-अल्टीट्यूड लॉन्ग एंड्योरेंस (HALE) ड्रोन की तुलना में एक सीडो सैटेलाइट निगरानी की लागत में भारी कटौती करेगा. USAF रीपर कैटेगरी के ड्रोन को संचालित करने में लगभग $3500 प्रति घंटे का खर्च आता है. दूसरी ओर HAPS कैटेगरी के ड्रोन की लागत $500 प्रति घंटे से कम है. HAPS प्रोटोटाइप को बेंगलुरू स्थित स्टार्टअप ने स्पेस रिसर्च एंड टेक्नोलॉजीज प्राइवेट लिमिटेड ने डिजाइन किया है.
इसे भारतीय रक्षा मंत्रालय की तरफ से इनोवेशन फॉर डिफेंस एक्सीलेंस (iDEX) पहल के तहत तैयार किया जा रहा है. इस पर न्यू स्पेस रिसर्च एंड टेक्नोलॉजीज के सीईओ, समीर जोशी ने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर जानकारी दी है.
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