India in Uzbekistan: उज्बेकिस्तान में 18 बच्चों की कथित तौर पर एक भारतीय कंपनी की बनाई हुई खांसी की दवा पीने से हुई मौत पर ताशकंद में भारतीय दूतावास ने अपना पक्ष रखा है. ताशकंद में भारत ने कहा कि वह उज्बेकिस्तान में हुई बच्चों की मौत से दुखी है और उनेक परिजनों के प्रति संवेदना प्रकट करते हैं.
दूतावास ने मीडिया को जारी एक प्रेस रिलीज में बताया कि इस मामले की जानकारी मिलते ही उन्होंने भारत सरकार की संबंधित इकाईयों से इस सिलसिले में संपर्क किया और मामले की जांच शुरू कर दी. भारतीय दूतावास ने उज्बेकिस्तान प्रशासन से संपर्क कर उनकी जांच का ब्यौरा मांगा और भारत की कार्रवाई का भी जिक्र किया.
भारत ने कहा कि उन्होंने भारत में इस मामले से जुड़ी ईकाइयों से संपर्क बनाए रखा है. दूतावास ने कहा कि भारत सरकार के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने इस मामले का संज्ञान लेते हुए भारत के केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (CDSCO) ने 27 दिसंबर 2022 से उज़्बेकिस्तान के राष्ट्रीय दवा नियामक के साथ बात की है.
भारत ने क्या कार्रवाई की?
भारत ने बताया कि उसने उज्बेकिस्तान से संपर्क करने के बाद भारत के स्वास्थ्य मंत्रालय ने भारत सरकार की केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन और उत्तर प्रदेश ड्रग कंट्रोल के साथ मिलकर इस दवा को बनाने वाली कंपनी के परिसर का निरीक्षण किया. उन्होंने वहां सैंपल इकट्ठा किये और उनकी रिपोर्ट के आधार पर ही आगे की कार्रवाई की जाएगी.
दूतावास ने बताया कि मैरियन बायोटेक ड्रग्स कंट्रोलर से मान्यता प्राप्त एक लाइसेंस निर्माता कंपनी है और इसको यूपी सरकार ने डॉक1 मैक्स सिरप और टैबलेट का निर्माण कर निर्यात के लिए लाइसेंस दे रखा है. भारत ने कहा कि वह उज्बेकिस्तान का स्वास्थ्य के क्षेत्र में महत्वपूर्ण साझेदार है और वह इस मामले में सभी एजेंसियों और उज्बेक सरकार के अधिकारियों के साथ संपर्क बनाए रखेगा.
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