India K-4 Missile Test: भारत के मिसाइल अभियान से ड्रैगन इस कदर डरा हुआ है कि परीक्षण की सुगबुगहाट लगते ही हिंद महासागर में डेरा डाल लेता है. भारत ने चाइना किलर कही जाने वाली अग्नि-5 मिसाइल का परीक्षण करके दुनिया को चौंका दिया है, क्योंकि अग्नि-5 मिसाइल की रेंज 5000 किमी तक है. इस मिसाइल में पहली बार एमआईआरवी तकनीक का इस्तेमाल किया गया है, जो सफल रहा है. भारत अब 'के-4' मिसाइल का परीक्षण कर सकता है, जिसके खौफ में एक बार फिर चीन आ गया है.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, अग्नि-5 मिसाइल के परीक्षण के दौरान भी चीन ने हिंद महासागर में अपना जासूसी जहाज तैनात किया था. अब के-4 मिसाइल परीक्षण के दौरान भी चीन ने विशाखापत्तनम से कुछ समुद्री मील की दूरी पर अंतरराष्ट्रीय जल सीमा में अपने कथित शोध जहाज शियांग यांग होंग 01 को खड़ा किया है. बताया जा रहा है कि भारत 16 मार्च तक अपनी के-4 मिसाइल का परीक्षण कर सकता है, इसलिए इस क्षेत्र से समुद्री जहाजों को दूर रहने के लिए कहा गया है.
भारत पनडुब्बी से लांच कर सकता है के-4 मिसाइल
भारत ने अपनी के-4 मिसाइल को पनडुब्बी से दागने की योजना बनाई है. कुछ विश्लेषकों का मानना है कि भारत परमाणु पनडुब्बी आईएनएस अरिहंत से K-4 सबमरीन लॉन्च बैलिस्टिक मिसाइल का परीक्षण कर सकता है. इस मिसाइल की क्षमता करीब 3500 किलोमीटर तक बताई जा रही है. भारत की के-4 मिसाइल परमाणु हथियारों को भी ले जाने में सक्षम है. इसी वजह से चीन डरा हुआ है, क्योंकि पनडुब्बी से दागी जाने वाली मिसाइलों को पकड़ना आसान नहीं होता है.
विश्लेषकों का मानना है कि भारत की के-4 मिसाइल के बारे में जानकारी इकट्ठा करने के लिए चीन हिंद महासागर में अपने जासूसी जहाज को तैनात किया है. चीन के शियांग यांग होंग 01 जहाज में कई ऐसे सोनार लगे हैं जो पनडुब्बियों की हलचल पर नजर रखते हैं. मरीन ट्रैफिक की रिपोर्ट के मुताबिक चीन का शियांग यांग होंग 01 जहाज 23 फरवरी को चीन के किंगदाओ पोर्ट से रवाना हुआ था. इसने बंगाल की खाड़ी में रविवार को प्रवेश किया. चीन का होंग 01 जहाज कहां तक जाएगा, इसकी जानकारी नहीं दी गई है.
भारतीय नौसेना चीनी जहाज की कर रही निगरानी
भारत के K-4 मिसाइल के परीक्षण के बाद जल, थल और नभ में भारत की ताकत और बढ़ जाएगी. इस मिसाइल का पहली बार 2020 में परीक्षण किया गया था. चीनी जासूसी जहाज की भारतीय नौसेना भी करीब से निगरानी कर रही है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, मालदीव में मोहम्मद मुइज्जू के राष्ट्रपति बनने के बाद हिंद महासागर में हालात तनावपूर्ण हो गए हैं. मालदीव ने चीन के साथ सीक्रेट सैन्य समझौता भी किया है.
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