India-Maldives: मालदीव में राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू के नेतृत्व वाली सरकार पर फिलहाल महाभियोग की तलवार लटक रही है. ऐसा इसलिए क्योंकि वहां मुख्य विपक्षी दल ने इसे संसद में लाने की पूरी तैयारियां कर ली हैं. इस बीच, भारत के विदेश मंत्रालय की ओर से इस मसले पर रुख साफ किया गया है.
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने साप्ताहिक मीडिया ब्रीफिंग में बताया, "यह मालदीव का आंतरिक मसला है. भारत इस पर कोई टिप्पणी नहीं करना चाहेगा. वहां की मुख्य विपक्षी पार्टी मालदीवियन डेमोक्रेटिक के सांसद ने कहा है कि उन्होंने संसद में महाभियोग दायर करने के लिए और पार्टियों के साथ मिलकर पार्याप्त हस्ताक्षर जुटा लिए हैं." वैसे, खबर लिखे जाने तक मालदीवियन डेमोक्रेटिक (MDP) ने संसद में यह प्रस्ताव प्रस्तुत नहीं किया. इस बीच, एक रिपोर्ट में बताया गया कि मोहम्मद मुइज्जू की समर्थक पार्टियां ही अब उनके खिलाफ हैं.
स्पेशल सेशन के बीच हुआ बवाल, स्पीकर से झगड़ने लगे थे MPs
महाभियोग का मामला मालदीव की संसद में हिंसा के अगले रोज सामने आया. दरअसल, सरकार समर्थक पार्टी पीपुल्स नेशनल कांग्रेस (पीएनसी) और प्रोग्रेसिव पार्टी ऑफ मालदीव (पीपीएम) के सांसदों ने ही संसदीय कार्यवाही को बाधित कर दिया था और स्पीकर से झगड़ने लगे थे. यह बवाल ऐसे वक्त पर हुआ था जब मुइज्जू सरकार के मंत्रिमंडल विस्तार के विशेष सत्र बुलाया गया था.
शपथ लेते ही मुइज्जू ने लिया था भारत के खिलाफ एक्शन
मामले को बारीकी से समझने वालों की मानें तो जब से मोहम्मद मुइज्जू की मालदीव में सरकार बनने के बाद उनके मुल्क के भारत से रिश्ते खराब हुए हैं. ऊपर से मुइज्जू को चीनी समर्थक नेता के तौर पर देखा जाता है. पिछले साल हुए चुनाव में भारत से करीबी रिश्ता रखने वाले कैंडिटेड इब्राहिम मोहम्मद सोलिह को हराकर वह मालदीव के राष्ट्रपति बने थे. शपथ लेने के 24 घंटे बाद ही उन्होंने मालदीव में रहने वाले भारतीय सैनिकों को वापस भारत बुलाने की मांग उठाई थी.
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