India Maldives: भारत और मालदीव के रिश्ते काफी पुराने हैं. हिंद महासागर में मौजूद इस पड़ोसी देश को जब भी मदद की जरूरत पड़ी है, तब-तब भारत ने आगे उसकी सहायता की है. कोविड महामारी के दौरान वैक्सीन से लेकर प्राकृतिक आपदाओं के समय राहत सामग्री पहुंचाने का काम भी भारत ने किया है. हालांकि, अब दोनों देशों के रिश्ते थोड़े तनावपूर्ण हो गए हैं. इसके पीछे की वजह चीन है, जिसके चलते मालदीव ने भारत के साथ दोस्ती बिगाड़ ली है. 


दरअसल, मालदीव के राष्ट्रपति के तौर पर मोहम्मद मुइज्जू ने शपथ लिया है. उन्होंने शपथ लेने के 24 घंटे के भीतर ही भारत सरकार से कहा कि वह अपने सैनिकों को मालदीव से बुला ले. मुइज्जू का कहना था कि मालदीव के लोगों ने भारत से ये कहने के लिए उन्हें मजबूत जनादेश दिया है. सबसे ज्यादा हैरानी बात ये रही कि केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू मुइज्जू के शपथ ग्रहण में शामिल हुए. रिजिजू से मुलाकात के दौरान ही मुइज्जू ने भारतीय सैनिकों को मालदीव छोड़कर जाने को कहा. 


मालदीव में कितने भारतीय सैनिक?


मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, मालदीव में भारत के 70 से 75 सैनिक मौजूद हैं. यहां पर मौजूद सैनिक रडार और सर्विलांस एयरक्राफ्ट को ऑपरेट करते हैं. भारत के युद्धक जहाज भी मालदीव के आर्थिक जोन में पेट्रोलिंग कर उसकी मदद करते हैं. सिर्फ इतना ही नहीं, बल्कि भारतीय एयरक्राफ्ट मालदीव के लोगों के लिए मेडिकल निकासी का काम भी करते हैं. इसके अलावा देश में ड्रग ट्रैफिकिंग रोकने के लिए भी यहां काम किया जाता है. मुइज्जू खुद इस बात को जानते हैं. 


भारतीय सैनिकों की मौजूदगी की वजह से मालदीव के टूरिज्म सेक्टर को भी मदद मिलती है. अंतरराष्ट्रीय पर्यटकों को मालदीव के दूर-दराज इलाकों में जब ले जाया जाता है, तो उन्हें इस बात पर भरोसा रहता है कि अगर कोई अनहोनी होगी, तो भारतीय सैनिक उनकी मदद करेंगे. यही वजह है कि सूत्रों ने बताया है कि दोनों देशों की सरकार भारतीय सैनिकों की मौजूदगी को लेकर समाधान ढूंढने पर काम कर रही हैं, ताकि सैनिकों की मौजूदगी का लाभ मालदीव को मिलता रहे. 


क्या मालदीव से भारत को बाहर करवाने में है चीन का रोल?


समाचार एजेंसी एएफपी की रिपोर्ट के मुताबिक, राष्ट्रपति मुइज्जू को चीन समर्थक नेता के तौर पर जाना जाता है. चीन ने मालदीव में कई सारे प्रोजेक्ट्स भी लगाए हुए हैं. यहां गौर करने वाली बात ये है कि भारतीय सैनिकों को जाने के लिए कहने से ठीक एक दिन पहले मालदीव के राष्ट्रपति ने चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के विशेष दूत शेन यिकिन से मुलाकात की. यिकिन ने मुइज्जू को राष्ट्रपति बनने की बधाई दी और कहा कि वह चाहते हैं कि उनके कार्यकाल में मालदीव-चीन के रिश्ते मजूबत हों.


यही वजह है कि शक की सुइयां चीन की ओर मुड़ रही हैं. माना जा रहा है कि कहीं न कहीं चीन समर्थक मुइज्जू को बीजिंग की तरफ से ही ऐसा करने को कहा गया है. श्रीलंका में हंबनटोटा बंदरगाह चीन पहले ही कंट्रोल कर रहा है. ऐसे में उसका इरादा अब मालदीव में बेस बनाने का भी है, ताकि दक्षिण चीन सागर के बाद अब हिंद महासागर में भी उसकी स्थिति मजबूत हो जाए. चीन पर शक करने की एक वजह ये भी है कि मुइज्जू के राष्ट्रपति चुने जाने के तुरंत बाद ही विशेष दूत माले पहुंच गए. 


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