लंदन: ब्रिटेन के लिए ब्रेक्ज़िट भले ही सरदर्दा बना हुआ हो लेकिन भारत के लिए इससे जुड़ी एक अच्छी ख़बर है. ब्रेक्ज़िट के बाद की वीज़ा और इमिग्रशन पॉलिसी को लेकर ब्रिटेन की संसद  में एक व्हाइट पेपर पेश किया गया है. ऐसी संभावना जताई जा रही है कि ब्रिटेन के भारतीय छात्रों और काम करने वालों को इससे फायदा होगा. दरअसल, ब्रेक्ज़िट के बाद की वीज़ा और इमिग्रशन पॉलिसी में व्यक्ति का जन्म किस देश में हुआ है की जगह इस बात पर ज़ोर दिया गया है कि उसकी क्षमताएं क्या हैं.


ब्रिटेन के गृह सचिव साजिद जाविद द्वारा हाउस ऑफ कॉमन्स में पेश किए गए ब्रिटेन के भविष्य के टैलेंट-आधारित इमिग्रेशन सिस्टम, दुनिया में कहीं से भी अच्छे कौशल वाले प्रवासियों पर किसी भी का कैप नहीं लगाती और अंतरराष्ट्रीय छात्रों के लिए पढ़ाई के बाद की पेशकश में सुधार करती है.


ये नियम 2021 में लागू हो जाएंगे. ये वो समय है जब यूरोपियन यूनियन के 28 सदस्य देशों की ब्रिटेन में फ्री-मूवमेंट पर पाबंदी लग जाएगी. नए नियमों का दावा है कि इससे सदस्य देशों के नागरिक या किसी ख़ास देश के लोगों को नहीं बल्कि जिस किसी में टैलेंट हो, उसे आगे बढ़ने का मौका मिलेगा.


नए प्रस्तावों के तहत जारी किए जाने वाले कुशल कार्य वीजाओं की संख्या 20,700 पर से सालाना कैप हटा दी जाएगी, जिससे भारत के डॉक्टरों और आईटी पेशेवरों को लाभ मिलने की संभावना है. एक अस्थायी समय के लिए किसी भी टैलेंट लेवल पर लोगों के लिए एक नया 12 महीने का वीज़ा भी होगा, जिससे व्यवसायों को समय-समय पर कर्मचारियों को काम पर रखने की अनुमति मिल सकेगी.


भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) ने इन योजनाओं का स्वागत किया, जिसमें कहा गया है कि व्हाइट पेपर भारत जैसे देशों से टैलेंट वाले लोगों को अहमियत देता है. टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (टीसीएस) और सीआईआई के यूके इंडिया बिजनेस फोरम के अध्यक्ष जिम ब्लिघ ने कहा, "भारतीय उद्योग ने लंबे समय से निष्पक्ष, पारदर्शी और टैलेंट आधारित इमिग्रेशन सिस्टम की मांग की है और आज के प्रस्ताव इन लक्ष्यों को हासिल करने के लिए कुछ रास्ते तय करते हैं."


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