इस्लामाबाद: पाकिस्तान ने भारतीय नागरिक कुलभूषण जाधव के खिलाफ कोई विश्वसनीय सबूत नहीं होने संबंधी भारत के आरोपों को खारिज किया है. पाकिस्तान की ओर से कहा गया है कि इस तरह के आरोपों से दोनों देशों के संबंधों में तनाव बढ़ेगा.


पाकिस्तानी प्रधानमंत्री के विदेश मामलों के सलाहकार सरताज अजीज ने कहा कि 46 साल के जाधव के खिलाफ सुनवाई के दौरान कानूनी प्रक्रिया का पालन किया गया. अजीज ने एक विस्तृत बयान में कहा कि भारत अपनी प्रतिक्रिया के जरिए हालात को और गंभीर बना रहा है.


पक्षपातपूर्ण सुनवाई संबंधी भारत के आरोपों को खारिज करते हुए अजीज ने कहा कि पुलिस की आतंकवाद विरोधी शाखा ने बलूचिस्तान की राजधानी क्वेटा में आठ अप्रैल, 2016 को एफआईआर दर्ज की थी.


उन्होंने कहा कि जाधव के खिलाफ विस्तृत सुनवाई की गई और साक्ष्य अधिनियम और मजिस्ट्रेट के समक्ष बयान रिकॉर्ड कराने सहित सभी संबंधित कानूनों का पालन किया गया है. उन्होंने कहा कि जाधव को कानूनी सहायता भी प्रदान की गयी.


अजीज ने कहा, ‘‘जासूसी, विध्वंसक गतिविधि और आतंकवाद के लिए जिम्मेदार जाधव पर पाकिस्तान के कानून के मुताबिक मुकदमा चलाया गया है. उसको मिली सजा उस विश्वसनीय और स्पष्ट साक्ष्य के आधार पर सुनाई गई है जिससे जासूसी एवं विध्वंसक गतिविधियों में उसकी संलिप्तता साबित होती है.’’


अजीज ने कहा, ‘‘मैं भारत से पूछना चाहता हूं कि कुलभूषण जाधव खुद को मुसलमान बताते हुए फर्जी पहचान पत्र का इस्तेमाल क्यों कर रहा था? कोई बेकसूर आदमी दो पासपोर्ट क्यों रखेगा, जिसमें एक हिंदू नाम हो और दूसरा मुस्लिम नाम हो? नौसेना का कमांडर बलूचिस्तान में क्या कर रहा था, इस बारे में भारत के पास कोई विश्वसनीय स्पष्टीकरण नहीं है.’’


उन्होंने कहा, ‘‘पूर्वनियोजित हत्या और बलूचिस्तान में अशांति जैसी भड़काउ बयानबाजी से सिर्फ तनाव बढ़ेगा और इससे कोई मकसद पूरा नहीं होगा.’’ विदेश मामलों के सलाहकार ने कहा, ‘‘हम आशा करते हैं कि भारत जिम्मेदारी के साथ व्यवहार करेगा और ऐसे बयान जारी करने से बचेगा जिनसे लोगों के बीच शत्रुता बढ़े. भारत-पाकिस्तान संबंधों में बढ़ता संकट और अधिक गंभीर हो जाए, उससे पहले इसके समाधान के लिए और अधिक सक्रिय कूटनीति की जरूरत है.’’ सुनवाई का ब्यौरा देते हुए अजीज ने कहा कि आठ अप्रैल, 2016 को प्राथमिकी दर्ज किए जाने के बाद जाधव का इकबालिया बयान रिकॉर्ड किया गया.


उनका कहना है कि शुरूआती पूछताछ दो मई को की गई और 22 मई को विस्तृत पूछताछ हुई. 12 जुलाई को इस मामले में संयुक्त जांच दल का गठन किया गया. पाकिस्तान की दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 164 के तहत 22 जुलाई को इकबालिया बयान दर्ज किया गया और 24 सितम्बर को सबूत रिकॉर्ड किए गए.


अजीज ने कहा कि जाधव को अपना बचाव करने के लिए एक योग्य वकील मुहैया करया गया था. उन्होंने कहा कि जाधव 40 दिनों के भीतर सैन्य न्यायाधिकरण के फैसले के खिलाफ सैन्य अपीली अदालत में अपील कर सकता है. वह सेना प्रमुख के समक्ष अपीली अदालत के फैसले के खिलाफ 60 दिनों में अपील दायर कर सकता है.


अजीज ने कहा कि जाधव याचिकाएं खारिज होने की स्थिति में 90 दिनों के भीतर पाकिस्तान के राष्ट्रपति के समक्ष दया याचिका भी दे सकता है.