Nepal economic crisis: नेपाल की मौजूदा आर्थिक स्थिति पर नजर डालें तो ये साफ पता चलता है कि देश गंभीर व्यापारिक घाटे का सामना कर रहा है.जुलाई से नवंबर 2024 तक नेपाल ने 460 अरब रुपये का व्यापार घाटा झेला है. यह घाटा मुख्य रूप से आयात और निर्यात के बीच असंतुलन के कारण है. नेपाल ने वित्त वर्ष के इन चार महीनों में 513.38 अरब रुपये के सामान का आयात किया, जबकि उसका निर्यात केवल 52.67 अरब रुपये तक सीमित रहा. यह बड़ा असंतुलन व्यापार घाटे की मुख्य वजह है.
सीमा शुल्क विभाग के आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक नेपाल का चालू वित्त वर्ष के पहले चार महीनों में व्यापार घाटा 460.71 अरब रुपये तक पहुंच गया. सीमा शुल्क विभाग के अनुसार, पिछले साल की तुलना में इस बार जुलाई से नवंबर के मध्य तक आयात में 0.17 फीसदी की बढ़ोत्तरी देखी गई और निर्यात में 4.16 फीसद की बढ़ोतरी देखी गई.
इस दौरान नेपाल का भारत के साथ बिजनेस रिलेशन पर काफी असर देखने को मिला है, जिसका नतीजा ये हुआ कि दोनों के बीच 281 अरब रुपये का घाटा हुआ है. उदाहरण के तौर पर महज जुलाई से नवंबर के बीच में नेपाल ने भारत से 317 अरब रुपये का सामान इम्पोर्ट किया है, जिसमें डीजल (29.4 अरब रुपये), पेट्रोल (21.56 अरब रुपये), और एलपीजी (18.85 अरब रुपये) प्रमुख थे. जबकि इसके बदले में नेपाल ने सिर्फ 36 अरब रुपये का सामान भारत को दिया है.
केपी शर्मा ओली का के साथ प्रेम
प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के नेतृत्व में नेपाल ने चीन के साथ अपने संबंधों को मजबूत किया. इस बीच खबर है कि वो एक बार फिर चीन के दौरे पर भी जाने वाले हैं. ओली सरकार ने बीआरआई (बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव) समझौते पर हस्ताक्षर किए, जिसका भारत ने विरोध किया था. शायद इसी नेपाल को आर्थिक रूप से नुकसान उठाना पड़ा है.
समाधान की दिशा में प्रयास
व्यापार घाटे को कम करने के लिए नेपाल को निर्यात क्षमताओं को बढ़ावा देना होगा और आयात पर निर्भरता कम करनी होगी. इसके साथ ही, चीन और भारत दोनों के साथ संतुलित व्यापारिक और कूटनीतिक संबंध बनाए रखना आवश्यक है.
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