India-Pakistan: जम्मू-कश्मीर के अलगाववादी संगठनों पर प्रतिबंध लगते ही पाकिस्तान तड़पने लगा है, क्योंकि पड़ोसी मुल्क अब कश्मीर में अलगाववाद को बढ़ावा नहीं दे पा रहा. पाकिस्तान ने जम्मू-कश्मीर के चार अलगाववादी संगठनों को गैर कानूनी घोषित करने की निंदा की है. पाकिस्तान ने कहा कि भारत कश्मीरियों की आवाज को दबाने के लिए इस तरह के प्रतिबंध लगा रहा है. पाकिस्तान ने यासीन मलिक के जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (JKLF) पर प्रतिबंध बढ़ाने पर घोर विरोध जताया है.
भारत सरकार ने जम्मू-कश्मीर फ्रीडम लीग के चार गुटों को यूपीए के तहत गैर कानूनी घोषित कर दिया है. हाल ही इसकी जानकारी खुद भारत के गृह मंत्री अमित शाह ने एक्स हैंडल के जरिए दी थी. अमित शाह ने कहा कि 5 साल के लिए प्रतिबंधित जेकेएलएफ ने कश्मीर में आतंकवाद के जरिए अलगाववाद को बढ़ावा देकर भारत की अखंडता को खतरे में डाला है. गृह मंत्री ने कहा कि पीएम मोदी की आतंकवाद को लेकर जीरो टॉलरेंस की नीति है. ऐसे में गृह मंत्रालय ने जम्मू-कश्मीर के चार गुटों जेकेपीएल (मुख्तार अहमद वाजा), जेकेपीएल (बशीर अहमद तोता), जेकेपीएल (गुलाम मोहम्मद खान) और जेकेपीएल (अजीज शेख) को गैरकानूनी संघ घोषित किया है. ये सभी गुट याकूब शेख के नेतृत्व में चल रहे थे. नरेंद्र मोदी की सरकार आतंकवाद को कुचलने के लिए पूरी तरह से संकल्पित है.
पाकिस्तान ने कश्मीर को लेकर क्या कहा?
दूसरी तरफ पाकिस्तान के विदेश कार्यालय ने कहा, 'भारत ने जम्मू-कश्मीर के 14 राजनीतिक दलों को गैरकानूनी घोषित कर दिया है.' इसकी वजह से इन पार्टियों के 'सहयोगी दलों को भी उत्पीड़न का शिकार होना पड़ेगा. विशेष रूप से यासीन मलिक के लिए मौत की सजा की मांग की गई है, जिनको साल 2022 में आजीवान कारावास की सजा सुनाई गई थी.' पाकिस्तान ने भारत के ऊपर दमनकारी नीति अपनाने का आरोप लगाते है हुए कहा कि 'भारत कश्मीरियों की आवाज को कुचलना चाहता है, कश्मीरियों के अपने निर्णय के अधिकार को दबाया नहीं जा सकता.'
कश्मीर पर शुरू से पाकिस्तान की नजर
दरअसल, गृह मंत्री अमित शाह की कार्रवाई से पाकिस्तान तड़पने लगा है, क्योंकि पाकिस्तान शुरू से कश्मीर में आतंकवाद फैलाने का काम करते आ रहा है. वहीं पोओके में कश्मीरियों की क्या हालत है, इसकी पाकिस्तान कभी चर्चा नहीं करता है. पाकिस्तान को भारत के कश्मीर की काफी चिंता रहती है. अब पाकिस्तान के सहयोगियों पर कार्रवाई होने से पाकिस्तान तिलमिला गया है और उसने अपने पुराने अंदाज में अंतरराष्ट्रीय कानून और मानवाधिकार की दुहाई देना शुरू कर दिया है.
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