Pakistan Espionage case: एक भारतीय लड़के की जिंदगी पाकिस्‍तान की कुख्‍यात खुफिया एजेंसी आईएसआई (ISI) एजेंट के झांसे में आने के कारण बर्बाद हो गई. उसकी पाकिस्‍तान वाली लव स्‍टोरी याहू मैसेंजर पर हुई चैटिंग से शुरू हुई थी, जिसके बाद कई दफा पाकिस्‍तान गया और देश की संवेदनशील जानकारी दुश्‍मन तक पहुंचाई, वह एक खूबसूरत लड़की से निकाह करने के लिए मुसलमान बनने को भी तैयार हो गया. आखिर में जब भारतीय एजेंसियों के राडार पर आया तो साजिश का पर्दाफाश हुआ.


जानकारी के मुताबिक, पुणे का एक 25 वर्षीय छात्र विशाल 2005 में याहू मैसेंजर के जरिए एक लड़की के संपर्क में आया था. उस लड़की ने खुद की पहचान पाकिस्तान के कराची की रहने वाली 'फातिमा सल्लुद्दीन शा' के रूप में बताई. दोनों में नजदीकियां बढ़ने लगीं. इंटरनेट चैट, सैकड़ों फोन कॉल, पाकिस्तान की दो यात्राओं और इस्लाम में धर्मांतरण के वादे के साथ शुरू हुआ उनका प्रेम संबंध दो साल बाद विशाल की गिरफ्तारी और सात साल की जेल की सजा के साथ समाप्त हो गया.




25 साल के युवक की प्रेम कहानी जासूसी कांड में खत्‍म
विशाल को जासूसी के एक मामले में 8 अप्रैल, 2007 को पुणे में गिरफ्तार किया गया था. पुलिस के अनुसार, उसे एक आईएसआई एजेंट की बेटी ने लालच दिया था, जिसे 'आतंकवादी गतिविधियों' में प्रशिक्षित किया गया था और भारतीय सैन्य प्रतिष्ठानों के बारे में जानकारी देने का काम सौंपा गया था. वो लड़की विशाल से प्‍यारभरी बातें किया करती थी. उसके कहने पर विशाल पाकिस्‍तान गया. कुछ समय बाद एक आईएसआई एजेंट और पाकिस्तान उच्चायोग के दो अधिकारियों के साथ उसके संबंधों की भनक पुणे पुलिस को लगी. जिसके बाद विदेश मंत्रालय से मदद मांगी गई. 


16 साल बाद सलाहुद्दीन और फातिमा अब 'वांटेड' की सूची में   
अब सोलह साल बाद, आईएसआई एजेंट सलाहुद्दीन शा और उसकी बेटी फातिमा शा को 2007 के जासूसी मामले के रिकॉर्ड में 'वांटेड' घोषित किया गया है. फातिमा की कुछ ही तस्‍वीरें सामने आई हैं. 2 तस्‍वीरें इंडियन एक्सप्रेस की वेबसाइट पर पब्लिश की गईं, जिनमें फातिमा शूट सलवार पहने नजर आ रही है. पुलिस ने कहा कि विशाल फातिमा के साथ चैट करने के लिए एक इंटरनेट कैफे में जाता था और फिर वे रोजाना घंटों चैट करते थे. पुलिस रिकॉर्ड के अनुसार, दोनों ने अपने-अपने परिवार की डिटेल्स  शेयर की थीं. और, उसके बाद विशाल जब पाकिस्‍तान गया तो वहां उसने भारत से जुड़ी जानकारियां आईएसआई एजेंट को दीं. उसका नाम सलाहुद्दीन था. जो एक सेवानिवृत्त पाकिस्तानी सेना अधिकारी था. 


पुलिस की ओर से बताया गया कि विशाल मूलत: झारखंड के एक मध्यमवर्गीय परिवार से ताल्लुक रखता है. वह 2004 में पढ़ाई के लिए पुणे आया था. गिरफ्तारी के समय वह हडपसर कॉलेज में पढ़ रहा था. फातिमा के साथ चैट करते-करते विशाल को प्यार हो गया था और उसने फातिमा को शादी का प्रपोजल दिया था, जिसके लिए फातिमा राजी हो गई थी. 


एसटीडी बूथ से करता था बातें, 1.5 लाख रुपये का बिल आया
पुलिस रिकॉर्ड के अनुसार, उसने उसके साथ एक पाकिस्तानी सेल फोन नंबर साझा किया. एसटीडी बूथ के मालिक ने पुलिस को बताया कि विशाल ने उसे स्थानीय एसटीडी बूथ से इस नंबर पर कॉल किया, जिसमें 1.5 लाख रुपये का बिल आया. पुलिस ने कहा कि उसने केवल 40,000 रुपये का भुगतान किया. विशाल ने पाकिस्तान में फातिमा के माता-पिता से भी फोन पर बात की. 


इस्लाम कबूल करने को तैयार हो गया था
पुलिस रिकॉर्ड के मुताबिक, हालांकि उन्होंने शुरुआत में उसके शादी के प्रस्ताव को खारिज कर दिया, लेकिन बाद में वे इस शर्त पर तैयार हो गए कि वह इस्लाम कबूल कर लेगा. कहा जाता है कि फातिमा और उसके पिता ने विशाल को पाकिस्तान आमंत्रित किया. उसके पिता ने उसे यह कहकर फुसलाया कि वह अपनी शादी के बाद लंदन में बस सकता है और वहां एक बिजनेस कर सकता है. जिसके बाद विशाल ने पाकिस्तान के वीजा के लिए आवेदन किया था, लेकिन उसका आवेदन खारिज कर दिया गया था. 


पुलिस के अनुसार, यह तब हुआ जब सलाहुद्दीन ने उसे नई दिल्ली में पाकिस्तान उच्चायोग के एक कर्मचारी सैयद एस हुसैन तिर्मिज़ी का कॉन्‍टेक्‍ट नंबर दिया था. तिर्मिज़ी और पाकिस्तान उच्चायोग के एक अन्य कर्मचारी जावेद उर्फ अब्दुल लतीफ़ को भी इस मामले में आरोपी और साजिशकर्ता के रूप में दर्ज किया गया है.


पाकिस्‍तान जाने के लिए दिल्ली के एक लॉज में रुका था
बताया जाता है कि विशाल ने तिर्मिज़ी से संपर्क किया था और अपने कुछ दस्तावेज़ उसे सौंपे थे. उस दौरान वह दिल्ली के पहाड़गंज इलाके में एक लॉज में रुका और उसने फातिमा और उसके पिता से पैसे लिए थे. बाद में पुणे पुलिस ने अगस्त और दिसंबर 2006 के बीच 9 ऐसे पैसों के लेन-देन का विवरण अदालत के सामने पेश किया था. पुलिस ने कहा कि तिर्मिज़ी और लतीफ़ ने विशाल के पाकिस्तान जाने के लिए वीज़ा की व्यवस्था की थी. जांच से पता चला कि विशाल ने दो बार पाकिस्तान का दौरा किया - 14 अक्टूबर, 2006 को चार दिनों के लिए और फिर 23 जनवरी, 2007 को दो सप्ताह से अधिक समय के लिए.


8 अप्रैल, 2007 को विशाल को किया गया गिरफ्तार 
एक रिटायर्ड पुलिस अधिकारी भानुप्रताप बर्गे ने कहा, “हमें जानकारी मिली थी कि विशाल पाकिस्तान से लौटा था और उसके पास पुणे और उसके आसपास के सैन्य प्रतिष्ठानों और धार्मिक स्थलों की तस्वीरों वाली कुछ गुप्त दस्तावेज और सीडी थीं. हमें ये भी पता चला गया कि वह पाकिस्तान में किसी को महत्वपूर्ण जानकारी सौंपने की योजना बना रहा था, इसलिए हमने निगरानी शुरू कर दी.," जांच अधिकारी के मुताबिक, वे उस वक्‍त पुणे सिटी पुलिस की क्राइम ब्रांच में इंस्‍पेक्‍टर थे. विशाल को 8 अप्रैल, 2007 को पुणे सिटी पुलिस ने जासूसी के आरोप में गिरफ्तार किया था.


तलाशी के दौरान मिली थीं ऐसी चीजें 
तलाशी के दौरान, पुलिस ने विशाल से पुणे में राष्ट्रीय रक्षा अकादमी (एनडीए), बॉम्बे इंजीनियरिंग ग्रुप (बीईजी), दक्षिणी कमान आदि जैसे विभिन्न सैन्य प्रतिष्ठानों की इमारतों की तस्वीरों वाली सीडी बरामद की. इसमें प्रसिद्ध श्रीमंत दगडूशेठ जैसे संवेदनशील स्थानों की तस्वीरें भी थीं. पुलिस ने बताया कि पुणे के हलवाई मंदिर और आरएसएस के मुख्यालय 'मोतीबाग' की भी तस्‍वीरें विशाल से मिलीं. पुलिस ने कहा कि उन्होंने अन्य सामग्रियों के अलावा सेना के अधिकारियों के टेलीफोन नंबरों की फोटोकॉपी, फातिमा की तस्वीरें और सलाहुद्दीन से संबंधित एक लिफाफा भी बरामद किया.


यह भी पढ़ें: पाकिस्तान में लड़कियों की कब्र पर ताला लगाने की खबरें