India Pakistan jal Sandhi : रावी नदी पर भारत का अधिकार, कोर्ट नहीं जा सकते, पाकिस्तानी मंत्री ने संसद में क्यों बोला सच?
India Pakistan jal Sandhi : पाकिस्तान ने कहा है कि रावी नदी पर भारत का अधिकार है और हम उसके खिलाफ इंटरनेशनल कोर्ट नहीं जा सकते.
India Pakistan jal Sandhi : सिंधु जल संधि को लेकर हमेशा से पाकिस्तान झूठ बोलता रहा, लेकिन पहली बार ऐसा हुआ कि पाकिस्तान के कानून मंत्री को देश की संसद में सच बताना पड़ा. पाकिस्तान के कानून मंत्री आजम नजीर तरार ने कहा है कि रावी नदी पर भारत का अधिकार है और हम उसके खिलाफ इंटरनेशनल कोर्ट नहीं जा सकते. यह संधि पाकिस्तान को कानूनी रूप से बाध्य करती है कि वह पड़ोसी देश के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में न जाए. तरार ने पाकिस्तानी संसद में एक चर्चा के दौरान कहा, पाकिस्तान और भारत के बीच एक जल संधि है. रावी नदी के पानी का अधिकार भारत का है और हम इसमें हस्तक्षेप नहीं कर सकते. दरअसल, मंगलवार को पाकिस्तान की नेशनल असेंबली में सिंधु जल संधि को लेकर सवाल पूछा गया था. इसमें पूछा गया कि रावी नदी पर भारत की आक्रामकता को लेकर पाकिस्तान सरकार क्या कर रही है? इसपर पाकिस्तान के कानून मंत्री आजम नजीर तरार ने कहा कि पाकिस्तान और भारत के बीच एक जल संधि है, हम इसमें हस्तक्षेप नहीं कर सकते. इस मुद्दे पर भारत के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय अदालत का सहारा भी नहीं लिया जा सकता
कानूनी मुद्दों का न हो राजनीतिकरण
उन्होंने कहा, दोनों देशों के बीच 1960 में सिंधु जल संधि हुई थी. इसके तहत भारत रावी, सतलज और ब्यास नदियों के पानी पर दावा करता है. संसद के निचले सदन में नोटिस पेश करने वाले जरताज गुल ने तरार पर प्रहार करते हुए कहा कि आज कानून मंत्री ने रावी नदी पर भारत का अधिकार स्वीकार कर लिया है, जो खेदजनक है. इस पर कानून मंत्री ने कहा कि कानूनी मुद्दों का राजनीतिकरण नहीं किया जाना चाहिए. जो सच है, वह बताया जा रहा है.
दोनों देशों ने किए थे जल संधि पर हस्ताक्षर
कानून मंत्री ने कहा, सिंधु जल संधि पर दोनों देशों ने 1960 में हस्ताक्षर किए थे. वहीं, मीडिया रिपोर्ट में दावा किया गया है कि भारत ने शाहपुर कंडी बैराज के पूरा होने के साथ रावी नदी से पाकिस्तान की ओर पानी रोक दिया है. शाहपुर कंडी बैराज पंजाब और जम्मू-कश्मीर की सीमा पर है. रावी से जम्मू और कश्मीर को अब 1,150 क्यूसेक पानी मिलेगा, जो पहले पाकिस्तान को दिया गया था. इसलिए पाकिस्तान की संसद में यह मुद्दा चर्चा का विषय बना रहा.