India Pakistan Relation : आर्थिक तंगी से जूझ रहे पाकिस्तान की भारत के साथ दोस्ती की आखिर चर्चा क्यों हो रही है? यह मामला कहां से शुरू हुआ. दरअसल, बुधवार को पाकिस्तान के पीएम ने बड़े कारोबारियों के साथ एक मीटिंग की थी। इसमें पाकिस्तान की माली हालत को कैसे सुधारा जाए, इस पर मंथन किया गया था. ऐसे में पाकिस्तान के एक बड़े बिजनेसमैन ने प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ से भारत के साथ संबंध सुधारने को कहा है. कारोबारी आरिफ हबीब ने पीएम से कहा कि पाकिस्तान को देश की अर्थव्यवस्था में सुधार के लिए पड़ोसी देशों खासकर भारत के साथ संबंध सुधारने पर विचार करना चाहिए. इस खबर के बाद से पाकिस्तान भारत के रिश्तों को लेकर दुनियाभर में चर्चा हो रही है.


इस पर ब्रिटेन स्थित थिंक टैंक आईटीसीटी के उपनिदेशक फरान जेफरी ने एक्स पर लिखा. पाकिस्तान की समस्या यह है कि वह जितना चबा सकता है, उससे अधिक काटता है. वह अपने ही जाल में फंस गया है, जो उसने भारत के लिए बिछाया था. दरअसल, जेफरी पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ के एक वीडियो पर प्रतिक्रिया दे रहे थे. वीडियो में पाकिस्तान के कारोबारियों ने आर्थिक स्थिति में सुधार के लिए भारत से हाथ मिलाने का अनुरोध किया था. पाकिस्तान भारत के रिश्ते पुलवामा अटैक के बाद ज्यादा खराब हुए. साथ ही आर्टिकल 370 खत्म होने के बाद तनाव ज्यादा बढ़ गया था. अब आर्थिक स्थिति खराब होने पर वहां के कारोबारी ही नहीं, वित्त मंत्री और पंजाब के मुख्यमंत्री समेत कई बड़े नेता भारत से दोस्ती की बात कर रहे हैं.


भारत के साथ क्यों दोस्ती चाहते हैं लीडर?


देश की हालत को खराब देखते हुए पाकिस्तान के बिजनेसमैन को लगता है कि ऐसी स्थिति में भारत के साथ हाथ मिलाना सही है. यह पाकिस्तान के लिए काफी फायदेमंद होगा. भारत पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति में सुधार कर सकता है. स्टॉक मार्केट के दिग्गज और कारोबारी आरीफ हबीब ने इस पर कहा, मैं चाहता हूं कि आप दोनों हाथ मिलाएं. अदियाला जेल में बंद एक व्यक्ति से भी संबंध ठीक करें, ताकि वह चीजों को सुधारे. अदियाला जेल से उनका संदर्भ पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान से था. जब आरिफ हबीब ने भारत से हाथ मिलाने का आग्रह किया तो उनके पीछे खड़े एक व्यक्ति ने भी सहमति में सिर हिलाया. इस दौरान कॉन्फ्रेंस हॉल तालियों की आवाज से गूंज उठा था.


पाकिस्तान की हालत है खराब
पाकिस्तान ऊंची महंगाई दर, गिरती मुद्रा और कम विदेशी भंडार के कारण गंभीर आर्थिक संकट से जूझ रहा है. पिछले 25 वर्षों में पाकिस्तान पर कर्ज लगभग हर 5 साल में दोगुना हो गया है, जो 2022 में इमरान खान सरकार के अंत तक 220 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया था. पाकिस्तान कर्ज से बचने और अरबों डॉलर का कर्ज चुकाने के लिए आईएमएफ से कम से कम 6 अरब डॉलर का कर्ज मांग रहा है.