India-Pakistan Indus Water Treaty: भारत और पाकिस्तान के बीच सिंधु जल संधि एक बेहद ही चर्चित मुद्दा है. इस पर दोबारा से बात करने के लिए भारत ने पड़ोसी मुल्क को नोटिस भेजा है. इसके बाद उनकी सारी अकड़ एक झटके में ढीली पड़ गई. कश्मीर के मुद्दे पर भारत के खिलाफ विश्व भर के मंच पर बयान बाजी करता नजर आने वाला पाकिस्तान सिंधु जल संधि पर गिड़गिड़ाने लगा. उनका कहना है कि हम दोनों देश को इस संधि को मानना चाहिए. इसके लिए हम प्रतिबद्ध है. बता दें कि दोनों मुल्क समझौते के तहत ही हिमालय से निकलने वाली 6 नदियों की पानी को एक-दूसरे में बांटता है.


साल 1960 में तत्कालीन पीएम जवाहरलाल नेहरू और पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति अयूब खान ने सिंधु जल संधि समझौते पर साइन किया था. इस तरह से 64 साल पुराने संधि को एक मजबूत कूटनीतिक समझौते के रूप में देखा जाता रहा है. हालांकि, बीते कई सालों से इसको लेकर विवाद बढ़ता गया है. इसी कड़ी में भारत ने एक बार फिर से पाकिस्तान को उसे संधि से जुड़े कई बातों पर गौर करने के लिए नोटिस भेजा है. जिसके बाद से पड़ोसी मुल्क में हड़कंप मच गया.


भारत और पाकिस्तान को मिलने वाली नदियां
बता दें कि सिंधु जल संधि के मुताबिक, भारत को तीन पूर्वी नदियां  रावी, व्यास और सतलुज का पानी मिलता है. वहीं पाकिस्तान को पश्चिमी नदियां चिनाब, झेलम और सिंधु का पानी प्राप्त होता है. वहीं भारत पश्चिम के नदियों पर हाइड्रोपावर प्रोजेक्ट  को विकसित कर सकता है. बशर्ते वे जल के प्रवाह को प्रभावित न करें.


बता दें कि भारत पहले से बगलिहार और किशनगंगा परियोजना पर काम कर रहा है, जो कश्मीर पर है. इस पर पाकिस्तान का कहना है कि इससे नदी के पानी के प्रवाह पर असर पड़ता है और जल आपूर्ति प्रभावित होती है. भारत ने पाकिस्तान के तरफ से लगाए गए सारे आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया है. वहीं भारत का कहना है कि उनके किसानों को पड़ोसी मुल्क से कम पानी मिलता है. जिसके मुताबिक, पश्चिम की नदियां पूर्व की नदियों से ज्यादा पानी लाती है.


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