(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
India Pakistan Relations: इस पाकिस्तानी पत्रकार ने क्यों कहा- चार युद्ध के बाद भी भारत-पाकिस्तान अलग नहीं हुए हैं?
पाकिस्तान की पत्रकार आरजू काजमी ने इस ओर इशारा किया कि भारत-पाक में तो लोगों के बीच सहनशीलता कम हुई है, लेकिन जब ये लोग दुनिया के किसी और हिस्से में मिलते हैं तो लगता ही नहीं कि अलग देशों के हों.
India Pakistan Issues: आरजू काजमी (Arzoo Kazmi) ने एक शो में भारत-पाकिस्तान पर बात करते हुए कहा कि यदि दोनों मुल्कों के लोग चाहें तो भारत-पाकिस्तान एक साथ आगे बढ़ सकते हैं. उन्होंने यह भी कहा कि 4 युद्ध होने के बाद भी भारत-पाक अलग नहीं हो सके हैं.
भारत-पाकिस्तान में सहनशीलता (Tolerance) की कमी को लेकर आरजू काजमी ने कहा, "आज पाकिस्तान हो, चाहे भारत या बांग्लादेश हो..इनमें टॉलरेंस लेवल कम हो गया है. लोग जरा-जरा सी बात पर नाराज हो जाते हैं. हमें ऐसा क्यों लगता है कि हम ही ठीक हैं, बाकी कोई कुछ भी कह रहा है वो गलत है. हमें ऐसा क्यों लगता है कि हमने अपनी बात कर ली है लेकिन अगर कोई दूसरा बात करना चाहेगा और हमें मालूम है कि वो बात हमसे अलग बात करेगा तो हमको उसे सुनना नहीं है. क्यों किसी दूसरे की कही हुई बात हमें बुरी लगती है?"
'4 युद्ध हो चुके, फिर भी भारत-पाक अलग नहीं'
आरजू काजमी ने कहा, "हमारे यहां बहुत से इंडियन गेस्ट आते हैं. वो हमें अपने यहां की बातें बताते हैं. कहते हैं कि ये चीज सही नहीं पाकिस्तान में, या ये चीज ऐसे ठीक हो सकती है. हम उनसे अक्सर फॉरेन पॉलिसी पर बात करते हैं...तब हमारे बहुत से लोग कहते हैं कि क्या इंडियंस ही रह गए हैं ये सब पूछने के लिए.
ठीक इसी तरह का बिहेवियर इंडिया में भी देखने को मिलता है कि अगर पाकिस्तान की तरफ से कोई कुछ बात कहे हिंदुस्तान के लिए, तो कहा जाता है कि हम पाकिस्तानी से क्यों सुनें या पाकिस्तान की ओपिनियन क्यों लें? इस बारे में क्या आपने कभी सोचा है? क्योंकि जितना मर्जी आप कह लीजिए...चार युद्ध हो गए और इनके अलावा बेशुमार लड़ाइयां हुई हैं हमारी. लेकिन फिर भी हमें एक दूसरे से अलग तो कोई कर नहीं पाया."
'आज भी हिंदुस्तानी-पाकिस्तानी खूब अच्छे से मिलते हैं'
आरजू काजमी ने कहा, "आज भी बहुत से हिंदुस्तानी-पाकिस्तानी खूब अच्छे से मिलते हैं..इन दोनों मुल्कों के लोगों की यदि किसी दूसरे मुल्क में बात हो तो घुल मिल जाते हैं. चाहे वो दुबई हो, यूरोप हो, अमेरिका..कनाडा कहीं पर मुलाकात हो तो वो बहुत अच्छे-से मिलते हैं. कोशिश होती है कि आपस में बैठकर बातें करें..हंसें-बोलें. एक जैसी जुबान, एक जैसे मजाक और अंदाज. ये सबकुछ है, लेकिन जरा सोचिए कि आखिर हम सोशल मीडिया पर इतने क्यों भड़क जाते हैं."
'दोनों मुल्कों के लोगों को आपसी विश्वास बढ़ाना होगा'
काजमी बोलीं, "जरा सोचिए कि कुछ कुछ दिनों के बाद आपस में दोस्ती हो तो एक दूसरे पर शक क्यों होने लगता है. ऐसा तो नहीं कि वो रॉ के एजेंट हों, या ये आईएसआई के एजेंट हैं. ऐसा तो नहीं कि मुझे कोई नुकसान पहुंचा दे या कोई साजिश न रच रहा हो." उन्होंने कहा कि हमें इस चीज को बदलना होगा. आपसी विश्वास बढ़ाना होगा.
काजमी ने कहा, "हमें ये देखना होगा कि अगर ये दोनों मुल्क आपस में मिलकर चलें और एक-दूसरे से मुकाबला न करें. जैसे कि पाकिस्तान में बहुत बार कहा जाता है. उन्हें मानना चाहिए कि हिंदुस्तान एक बहुत बड़ा मुल्क है पाकिस्तान की तुलना में. वहां आबादी भी ज्यादा है और उनका बजट हो या और कोई चीज हो..उनसे तुलना नहीं हो सकती."
'अभी एक-दूसरे के यहां जाना पॉसिबल नहीं है'
आरजू काजमी ने कहा, "अभी हिंदुस्तान से पाकिस्तान या पाकिस्तान से हिंदुस्तान में जाना संभव नहीं है, आप जानते हैं कि वीजा प्रॉब्लम्स होती हैं, बॉर्डर भी बंद हैं..और इसी तरह के कई दूसरे मुद्दे हैं. तो एक-दूसरे के यहां भले ही मिलने न आ सकें लेकिन एक-दूसरे से यदि अच्छे से बात भी कर लिया करें तो उसमें क्या हर्ज है? जरा सोचिए कि अब जैसे एलओसी के ऊपर फायरिंग बंद है.. डेढ़ साल हो गया है एलओसी के ऊपर फायरिंग नहीं हो रही, तो कितने लोगों की जिंदगियां बच गई हैं इस वजह से. जरा सोचिए जो सिपाई वहां खड़े होते हैं, वे भी तो इंसान ही हैं. उन्हें भी वैसे ही जिंदगी जीने का हक है जैसे कि अन्य लोग जीते हैं."
'हमारा पैसा युद्धों में लगा दिया गया, अब ऐसा न हो'
काजमी ने कहा, "जरा सोचिए कि दोनों मुल्कों में नफरत कैसे कम की जा सकती है. जरा सोचिए कि हम भी यूरोपियन मुल्कों की तरह क्यों आगे नहीं बढ़ पा रहे हैं. जो पैसा हमारे लोगों के लिए खर्च होना चाहिए वो सारा का सारा युद्धों में लग जाता है."
चरमपंथ के खिलाफ आवाज उठाती रही हैं काजमी
आरजू काजमी कई बार एबीपी न्यूज की पत्रकार रुबिका लियाकत से मुखातिब हुई हैं. वह पाकिस्तान के कट्टरपंथी संगठनों और उनके सरगनाओं के खिलाफ आवाज उठाती नजर आई हैं. उन्होंने ओसामा बिन लादेन को लेकर भी हुकूमत की आलोचना की थी.