इस्लामाबाद: पीएम नरेंद्र मोदी के रिश्ते सुधारने के कई प्रयासों के बाद भी पाकिस्तानी आतंकियों के हमले जारी रहे. ऐसे में दोनों देशों के रिश्ते लंबे समय से पटरी से उतरे हुए हैं. भारतीय विशेषज्ञों के एक ग्रुप ने बेहद बिगड़े द्विपक्षीय संबंधों के सभी पहलुओं पर चर्चा करने और ट्रैक 2 डिप्लोमेसी बहाल करने के लिए पाकिस्तान का दौरा किया. कूटनीतिक सूत्रों ने बताया है कि ट्रैक 2 की पहल ‘नीमराणा डायलॉग’ को इस दौरे के साथ नई शुरुआत मिली.


भारतीय पक्ष की अगुवाई पूर्व विदेश सचिव विवेक काटजू और अन्य विशेषज्ञों ने की, जबकि पाकिस्तानी पक्ष में पूर्व मंत्री जावेद जब्बार और बाकी के लोग शामिल थे. सूत्रों ने कहा कि दोनों पक्षों के बीच इस्लामाबाद में 28 से 30 अप्रैल के बीच बातचीत हुई. एक सूत्र के मुताबिक, ‘‘दोनों पक्षों ने द्विपक्षीय संबंधों के सभी पहलुओं पर चर्चा की और इस बात पर सहमति जतायी कि दोनों देशों के बीच सभी मुद्दे बातचीत के जरिये सुलझाये जाने चाहिए.’’


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सूत्रों ने बैठक में चर्चा के विषयों के बारे में और जानकारी देते हुए बताया कि दोनों पक्षों ने कश्मीर, सियाचिन, सर क्रीक, आतंकवाद, नियंत्रण रेखा पर तनाव और अफगानिस्तान सहित क्षेत्रीय स्थिति पर चर्चा की. सूत्रों ने कहा कि दोनों पक्ष अपने प्रस्ताव विचार के लिए अपनी सरकारों को सौंपेंगे. पाकिस्तानी पक्ष में शामिल विशेषज्ञों में स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान के पूर्व गवर्नर इशरत हुसैन भी थे जिनका नाम जुलाई में संभावित आम चुनाव के दौरान पाकिस्तान के कार्यवाहक प्रधानमंत्री के उम्मीदवारों के तौर पर मीडिया में चल रहा है.


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ट्रैक 2 की बातचीत को पूरी तरह गुप्त रखा गया है और आयोजकों ने इस बारे में आधिकारिक रूप से कुछ भी साझा नहीं किया. 1990 के दशक में नीमराणा संवाद की शुरुआत हुई थी. साल 2016 में पाकिस्तान के संगठनों द्वारा किये गये आतंकी हमलों और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में भारत के सर्जिकल स्ट्राइक के बाद दोनों देशों के बीच रिश्तों में तनाव पैदा हो गया था.


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दोनों पक्ष अक्सर एक दूसरे पर नियंत्रण रेखा पर सीज़फायर उल्लंघन का आरोप लगाते हैं. हाल ही में भारत ने कहा था कि वह शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की रूपरेखा के तहत रूस में कई देशों के आतंकवाद निरोधक अभ्यास में पाकिस्तान के साथ भाग लेगा.


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आपको बता दें कि द्विपक्षीय रिश्तों को सुधारने के लिए पीएम मोदी ने कई अकल्पनीय कदम उठाए. इनमें पाकिस्तान के पूर्व पीएम नवाज़ शरीफ को अपने शपथ ग्रहण में बुलाने से लेकर 2015 में अफगानिस्तान से लौटते वक्त सीधे पाकिस्तान में उतर जाने जैसे कदम शामिल रहे. लेकिन ऐसे हर कदम के बाद पाकिस्तान ने पठानकोट से लेकर उरी तक आतंकी हमले किए जिससे तमाम कोशिशों पर पानी फिर गया. भारत-पाक रिश्ते हालिया वक्त में अपने सबसे ख़राब दौर में हैं.